ऑफिस वाली लड़की को उसके घर में चोदा

ऑफिस गर्ल सेक्सी कहानी मेरे साथ काम करने वाली एक लड़की की चूत चुदाई की है. उसने खुद मुझमें रूचि लेनी शुरू की थी. मैंने कोशिश की और बात बन गयी.

हैलो फ्रैंडस, मेरा नाम सोनू है. आज मैं आपको अपने साथ हुई एक सच्ची ऑफिस गर्ल सेक्सी कहानी बताता हूं.

मैं एक नॉर्मल बॉडी का बंदा हूं, मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच की है, रंग गोरा है. मुझे सेक्स करना बहुत पसंद है.

ये बात उन दिनों की है, जब मैं दिल्ली में जॉब करता था.

जॉब में वो मेरा पहला दिन था, मुझे एच.आर. डिपार्टमेंट मिला था.

जब मैं अपने डिपार्टमेंट में गया, तो वहां के स्टाफ में पहले से 3 लड़कियां और 3 लड़के थे.

उन तीनों लड़कियों में से एक लड़की मैरिड थी. वो काफी गोरे रंग की थी. उसका शरीर भी भरा हुआ था. उम्र लगभग 30 की होगी.
उसका नाम रीता (काल्पनिक) था.

बाकी दो लड़कियां नार्मल थीं.

शुरूआत में मेरे मन में किसी के लिए कोई खास फीलिंग नहीं थी. सब कुछ नॉर्मल था.

मैं शर्मीले स्वभाव का बंदा हूं, तो जल्दी किसी से घुल-मिल नहीं पाता हूँ.

एक दिन मैं अपने काम में व्यस्त था, तब अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरी टेबल के पास खड़ा है.
मैंने सर ऊपर करके देखा तो रीता वहां खड़ी मेरी तरफ देख रही थी.

मैंने उसकी आंखों में देखा, तो उसने स्माइल करते हुए मुझसे पूछा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- बस यही ऑफिस का काम.

रीता- हम्म … बहुत बिजी रहते हो.
मैंने मुस्कुराते हुए शर्म से सर नीचे कर लिया और उसको बैठने को बोला.

इतने में सीनियर सर आ गए और रीता अपनी सीट पर जा कर बैठ गई.
वहां से वो मुझे बार बार देखती रही.

मैं वापस अपने काम में लग गया.

लंच टाईम हुआ, तो वो फिर से मेरे पास आ कर खड़ी हो गई और मुझसे पूछने लगी- लंच लाए हो क्या?
मैंने हां में जवाब दिया.

इस बार मेरी निगाहें ना जाने क्यूं उसके सीने पर जा टिकीं.
यह बात उसने नोटिस की और मेरी तरफ देखा.
मैंने अपनी निगाहें नीचे कर लीं.

फिर तीनों लड़कियों के साथ हम चारों लड़कों ने लंच किया.

वक्त यूं ही बीतता गया और हम सभी लोग आपस में थोड़े घुलने मिलने लगे, हंसी मजाक करने लगे.
पर मैं ज्यादतर चुप ही रहता था.

एक दिन मैं ऑफिस में जल्दी आ गया. जैसे ही अन्दर आया, तो देखा रीता वहां पहले से ही अपनी सीट पर चुपचाप सी बैठी थी.

मैं- हाय रीता, कैसी हो?
रीता उदासी से- हाय, ठीक हूं.

मैंने नोटिस किया कि आज वो कुछ ज्यादा ही खामोश है.

मैं हिम्मत करके उसकी सीट की तरफ गया और पूछा- क्या हुआ तुम्हें, हमेशा बोलने वाली चुलबुली लड़की आज चुप क्यूं है?
रीता- कुछ नहीं.

मेरे मुँह से अगला सवाल निकल गया- हस्बैंड से झगड़ा तो नहीं हुआ?
इस पर वह चुप हो गई और उसने अपनी निगाहें झुका लीं.

मैं उस समय अनमैरिड था, पर मुझे भी रिश्तों की थोड़ी समझ थी.

मैंने फिर से उसका नाम पुकारा तो उसने धीरे से मेरी तरफ देखा.

इस बार उसकी आंखें नम थीं. ये देख कर मैंने उससे पूछा कि क्या मैं जान सकता हूँ कि क्या हुआ?

वह कुछ नहीं बोली, तभी बाकी का स्टाफ आने लगा. मैं अपनी सीट पर जाकर बैठ गया और रीता की तरफ देखने लगा. वह अपने आंसू पौंछ चुकी थी.

उस दिन उसके लिए ना जाने क्यूँ मेरा मन भी दुखी हो गया.

फिर हम अपने काम में लग गए.

लंच में मैं उसके पास गया और एक पर्ची उसके हाथ में चुपचाप से थमा दी.
उसने वो जल्दी से छुपा ली, फिर इधर उधर देखती हुई पर्ची पढ़ी जिस पर लिखा था आज लंच बाहर करेंगे, बाहर आ जाओ.

पहले तो उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया, तो मैं बाहर आ गया.

तभी अचानक पलट कर देखा तो रीता आ रही थी.

मुझे खुशी हुई.

हम दोनों बाहर रेस्टोरेन्ट में गए और मैंने दो प्लेट खाना ऑर्डर कर दिया.
उसने मना किया पर मैं नहीं माना.

फिर हमने साथ साथ खाना खाया और बाहर आ गए.

बाहर आकर मैंने सुबह वाला सवाल उससे फिर से पूछ लिया.

तो उसने मुझसे कहा- अगर तुम किसी को ना बताओ, तो मैं बताऊं.
मैंने उसे भरोसा दिलाया.

तब उसने बताया कि मेरे हस्बैंड का व्यवहार मेरे प्रति ठीक नहीं है. आए दिन हम दोनों में झगड़ा होता रहता है. हमारी शादी भी बिना मर्जी के हुई थी.

इतना कह कर रीता रोने लगी.

उसे रोता देख मेरी समझ में नहीं आया कि क्या करूं, क्या कहूं.

फिर मैंने हिम्मत करके उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए उससे कहा- रीता तुम चुप हो जाओ, सब ठीक हो जाएगा.
उसने रूमाल निकाला और अपने आंसू पौंछ लिए.

फिर मैंने उससे उसका नम्बर मांगा, तो उसने पूछा- क्यूं?

मैं थोड़ा डर गया कि कहीं ये बुरा तो नहीं मान गई.

मैंने कहा- ऐसे ही.

वह बिना नम्बर दिए चली गई.

सच कहूं तो मुझे थोड़ा बुरा लगा.

उस दिन शाम को मैं उससे नजरें बचा कर ऑफिस से निकल गया.
अगले दिन मैं जल्दी ही ऑफिस आ गया था.

फिर और स्टाफ भी आ गया पर रीता अब तक नहीं आ पायी थी.

मैंने अपनी डेस्क से जैसे ही फाइल उठाई, तो देखा वहां एक पर्ची पड़ी हुई है, जिस पर एक फोन नम्बर लिखा हुआ था.

बाहर जाकर मैंने उस नम्बर को डायल किया.
उधर से किसी लेडी ने रिसीव किया. उसकी आवाज बड़ी सुरीली थी.

मैं- आप कौन बोल रही हैं?
वो- आपकी मिलने वाली.

मैं- कौन रीता?
वो चुप रही, फिर फोन कट गया.

मैं समझ गया कि ये रीता ही है, मुझे उस पल अच्छा लगा.

फिर समय बीतता गया, हम दोनों के नम्बर एक्सचेंज हो गए थे.

अब हम धीरे धीरे रोज चैटिंग किया करते, पर अब भी मेरा मन उसके लिए साफ था.

एक दिन में मोबाइल पर पोर्न मूवी सर्च कर रहा था. उसमें एक एड आया, जिसमें एक बंदी लंबा सा लंड चूस रही थी.

मैंने सोचा कि इसे अपने दोस्त को भेज देता हूँ, पर ये क्या … वो तो गलती से रीता पर चला गया.
जब मैंने ध्यान दिया, तो मेरी तो गांड फट गई कि ये क्या हो गया, कहीं रीता मुझ पर भड़क ना जाए.

उस समय आज के जैसा डिलीट करने वाला विकल्प नहीं था.
मैंने तुरंत अपने मोबाइल से डिलीट किया और उसे सॉरी लिख कर भेज दिया.

मैं घबरा रहा था कि पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोचेगी, पर उधर से कोई जवाब नहीं आया.

अगले दिन ऑफिस में जब रीता मिली तो वह मुझे एक कशमकश भरे अंदाज में देख रही थी, पर मेरी फटी पड़ी थी.

जब उसने शाम तक कुछ नहीं पूछा, तब मेरी जान में जान आई.

रात को उसका मैसेज आया कि क्या कर रहे हो?
मैं- कुछ नहीं.

रीता- अच्छा ये बताओ तुमहारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैं- नहीं क्यूं?

रीता- ऐसे ही.
मैंने कुछ नहीं कहा.

रीता ने फिर से लिखा- तो आज तक कभी सेक्स भी नहीं किया होगा?
मैं सेक्स का नाम सुनकर चौंक गया और पूछा- ये क्या कह रही हो?

रीता- जो तुम पढ़ रहे हो.

मैं- लगता है आज मूड में हो मैडम, पति कहां हैं तुम्हारे?
रीता- वो कुछ दिनों के लिए काम से बाहर गए हैं.

मेरा मन शैतान होने लगा. मैंने पूछा- तो क्या इरादा है?
रीता- कुछ नहीं सो जाओ, बाय.

फिर वो लंड में आग लगा कर चली गई.
अब साली नींद ना आए. रीता की चुदाई के ख्याल मन में आने लगे.

मैंने ठान लिया कि रीता की चुदाई करके रहूंगा.

अगले दिन रीता ऑफिस आई.
हम दोनों ने एक दूसरे की ओर देखा और मुस्कुरा दिए. दोनों के दिल जो मिल गए थे.

दोस्तो, एक अच्छे सेक्स के लिए दिल मिलने बहुत जरूरी हैं.

उस दिन रीता एक अधिकारी के रूम से जैसे ही बाहर निकली कि उसका पैर अचानक मुड़ गया और उसमें मोच आ गई.
वो लंगड़ाती हुई जैसे ही अपने ऑफिस में आई, मैं देखते ही तुरंत उसके पास गया.

मैं उसे सम्हालते हुए पूछा- क्या हुआ रीता?
वो बोली- पैर में मोच आ गई है यार … बहुत दर्द हो रहा है. मैं घर जाना चाहती हूँ.

मैंने कहा- चलो मैं छोड़ देता हूँ तुम्हें.
वो बोली- ओके.

मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी बाइक तक ले गया.
फिर वहां से उसके घर आ पहुंचा.

उसका घर फ़र्स्ट फ्लोर पर था.

मैंने उसका एक हाथ अपने गले पर लपेटा और ऊपर ले गया. उस वक्त उसके बूब्स मुझसे छू रहे थे.

अचानक मेरे शरीर में हवस का करंट दौड़ने लगा. मैंने खुद को संभाला और उसे सोफे पर लिटा दिया.

फिर उसके कहने पर उसके पैर को अपने घुटने पर रख कर मालिश करने लगा. रीता को अच्छा लगा.

मैं जैसे ही जाने को उठा, तो उसने मुझसे कहा- आज मेरे पास ही ठहर जाओ ना.
मैंने पूछा- क्या इरादा है?

वह मुस्कुरा कर बोली- सब अभी पूछोगे?
उसकी आंखों में हवस का नशा छाने लगा था.

मैं उसके सर को अपनी गोद में लेकर बैठ गया.
मेरा लंड उसके स्पर्श से खड़ा हो गया. मेरा जी कर रहा था कि रीता को अभी चोद डालूं, पर मैंने संयम रखा.

उसने मेरे लिंग का स्पर्श पाकर अपना गाल लंड पर रख दिया, जिससे मेरे लंड में और उफान आ गया.

मैंने हिम्मत करके उसके माथे को चूम लिया.

वह आंखें बंद करके चुप लेटी रही.
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था.

मेरी हिम्मत और बढ़ी तो मैंने अपना एक हाथ उससे मम्मों पर रख दिया और सूट के ऊपर से उन्हें सहलाने लगा.

रीता की सांसें गहरी होने लगीं. वह बीच बीच में ‘सी … सी इस्स …’ की आवाजें निकालने लगी.

मैंने मौका देखकर अपने होंठ में उसके होंठ ले लिए और चूसने लगा.
वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी.

कुछ मिनट बाद जब हमारी सांसें फूल गईं.
तब हमने एक दूसरे के होंठों को छोड़ा और मैं उसके गालों को चूमने लगा.

मैं अपने हाथ से उसके पेट, नाभि को सहलाते हुए उसकी चूत को सलवार के ऊपर से मसलने लगा.

वह लगातार ‘सी … इ … आह … उम्म … इस्स … की मादक आवाजें निकाल रही थी.

अब मैंने उसे उठा कर सोफे पर बिठाया और उसका सूट सलवार दोनों को निकालकर फैंक दिया.
मेरे सामने वो सिर्फ काले रंग की ब्रा पैंटी में थी.

उस काले रंग में उसका गोरा जिस्म बिलकुल संगमरमर के पत्थर सा कसा हुआ एकदम चमक रहा था.

मैंने अपनी दोनों टांग फैलाईं और अपने हाथों से उसका सर पकड़ कर अपने लंड की तरफ कर दिया.

मैंने रीता से कहा- जान, इसे आजाद करो.

रीता ने मेरी पैंट का बटन खोलकर जिप नीचे की और मेरे कूल्हों से पकड़ कर मेरी पैंट चड्डी समेत नीचे कर दी.
मेरा फनफनाता लंड आजाद होकर ऊपर की और फड़फड़ा रहा था.

उसने अपने मुलायम हाथों से मेरा लंड सहलाया.
मैंने उसका चेहरा अपने लंड के पास कर दिया तो वो मेरा इशारा समझ गई.

उसने मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
मेरे मुँह से आह … निकलने लगी.

सच में लंड चुसवाने में बड़ा मजा आ रहा था.

उसी बीच मैंने अपनी शर्ट को भी उतार दिया और पूरा नंगा हो गया.
फिर उसकी ब्रा पैंटी को भी निकाल फैंका.
अब हम दोनों नंगे थे.

मैंने उसके गोल गोल मस्त मम्मों को अपने हाथों में पकड़ा और एक को मुँह में भरकर चूसने लगा.

रीता ‘सी … सी … आह … आह …’ की आवाजें निकाल रही थी.
दोनों बूब्स को मसलते और चूसते हुए मैंने अपना एक हाथ रीता की चूत पर रख दिया.

वो अचानक से सिहर उठी और लम्बी आहें भरने लगी.
उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और तप्त भट्टी की तरह गर्म हो रही थी.

मैं रीता की नाभि को अपनी जीभ से चाटता हुआ, अपनी जीभ उसकी गर्म चूत पर ले आया और उसकी चूत को धीरे धीरे चाटने लगा.
चूत की दोनों फांकों में अपनी जीभ डालकर चूत के दाने को सहलाने लगा.

रीता अपने हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी. वह पागल हुई जा रही थी.
बीच बीच में वो अपनी चूत को उठा कर मेरे मुँह पर रगड़ देती थी.

वो लगातार ‘सी … सी … ईस्स … आह … आह …’ की आवाजें निकाल रही थी.

कुछ मिनट बाद रीता जोर से अकड़ी और उसने मेरा मुँह अपनी जांघों में भींचकर मेरा सर जोर से चूत पर दबा लिया.

मैं फिर भी लगातार चूत चाटता रहा.
वो अचानक से ‘आह … आह … उम्म …’ करती हुई मेरे मुँह पर झड़ गई.

मैं उसका नमकीन पानी चाटने लगा, जो कि मैं थोड़ा तो चाट गया बाकी मुझसे नहीं चाटा गया, तो मैं हट गया.

कुछ पल बाद मैंने फिर से ऱीता की चूत चाटना शुरू कर दिया.

उसे फिर से उत्तेजना होने लगी.
अब रीता मुझे अपने ऊपर खींचने लगी और कहने लगी- जानू अब और मत तड़पाओ, जल्दी से मेरी चूत की खुजली मिटा दो!

मैंने पूछ लिया- क्या तुम्हारी चूत की खुजली पति नहीं मिटाता?
रीता बोली- मिटाता है, पर 2 महीने में एकाध बार!

मैंने उसे सोफे पर कुतिया बनाया और अपने लंड के टोपे से ऱीता की चूत को रगड़ा.

रीता लंड लेने के लिए अपनी चूत को मेरी तरफ दबाने लगी और ‘आह … आंह पेलो …’ की आवाजें निकालने लगी.

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखकर एक हाथ से उसका कूल्हा पकड़ा और जोर लगाना शुरू कर दिया.
उसकी चूत कुछ टाइट थी तो आधा लंड तो घुस गया … बाकी के लिए मुझे और जोर लगाना पड़ा.

लंड चूत में जाते ही रीता दर्द से कराह उठी और बोली- उई मां मर गई … तुम्हारा बहुत मोटा लंड है.
मैं हंस पड़ा.

फिर मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किए.
रीता ‘आह … आह …’ किए जा रही थी.

उसकी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी जिससे धक्कों में छप-छप की आवाजें आ रही थीं.

अब रीता भी मस्त हो गई थी और खुद से गांड पीछे करके धक्के मारने लगी.
कमरा चुदाई की आवाजों से गूंजने लगा.
उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी.

कोई 20 मिनट बाद मेरा होने को आया, तो मैंने धक्के तेज कर दिए.
अगले ही मिनट मैं ‘आह … आह …’ करके ऱीता की चूत में ही झड़ गया.

उस समय मन को जो शांति मिली, उसका कोई जवाब नहीं.
मैं रीता की कमर पर लेट गया और उसकी गर्दन पर एक किस कर दिया.

रीता के चेहरे पर भी संतुष्टि के भाव थे.
उसने मुझसे कहा- जान ये बात कभी भी तरह से मेरे पति तक नहीं पहुंचनी चाहिए.
मैंने उसे भरोसा दिलाया- तुम फिक्र ना करो.

उसके बाद मैंने रीता को एक बार और चोदा.
उस रात को उसी के घर में रुक गया. सुबह मैं उसके घर से जल्दी निकल गया.

उसके बाद कई बार हमने मौका पाकर सेक्स किया.

फिर मैंने वो कंपनी छोड़ दी और दिल्ली भी.

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