हाय दोस्तो, मैं प्रतिभा, चुदाई की कहानियां आपको बहुत पसंद है, मैं इस बात को भली भांति जानती हूँ. इसलिये मैं अपनी एक और नई मस्तराम कहानी लेकर आपके सामने आई हूँ, शायद आपको पसंद आ जाए.
हम दोनों पति पत्नी चुदाई के बहुत शौकीन हैं. हम दोनों को जब भी मौका मिलता है, हम चुदाई करने लग जाते हैं. यूँ समझ लीजिए कि हम दोनों तो बस चुदाई करने के लिये मौके की तलाश में ही रहते हैं. हम दोनों पति-पत्नी कहीं भी, कभी भी, चुदाई कर लेते हैं. मैं तो घर के कुछ काम भी पति से चुदवाते हुए ही करती हूँ.
मैं घर के काम ऐसे करती हूँ कि मेरे पति अपना लंड मेरे चुत में डालकर मेरी चुत आसानी से चोद सकें. हम दोनों को सच में इस तरह से चुदाई करने में बड़ा मजा आता है.
वो मई का महीना था, हम दोनों पति पत्नी को रिश्तेदार के घर शादी में जाना था. मैंने अपने पति को अल्मारी से कपड़े निकाल कर प्रेस करने के लिये दे दिये. मेरे पति टेबल पर कपड़े प्रेस करने लगे. मैंने भी खुद को पहनने के लिये साड़ी और ब्लाउज निकाला, उनको भी प्रेस करना जरूरी था.
मैं कपड़े प्रेस नहीं करती हूँ, क्योंकि मेरे हाथ से एक बार मेरी साड़ी जल गई थी. इसलिए मैंने अपने पति से कहा कि आप मेरी भी साड़ी प्रेस कर दो.
पति ने कहा कि मैं साड़ी तो प्रेस करके दूंगा, लेकिन उसके बदले में मुझे क्या मिलेगा?
मुझे मालूम था कि मेरे पति मुझसे मेरी चुत चोदने के लिये मांगेंगे; मैंने कहा- आपको क्या चाहिए?
मेरे पति ने कहा- जब तक मैं तुम्हारी साड़ी और ब्लाउज प्रेस करता हूँ, तब तक मैं तुम्हारी चुत भी साथ में चोदूँगा.
मुझे तो खुद भी तो यही चाहिए था, मैंने झट से हां कह दिया.
मेरे पति ने अपने कपड़े प्रेस करके हैंगर को लटका दिए. अब मेरे पति मेरे ब्लाउज प्रेस करने के लिए हुए, तो मैं उनके सामने अपने घुटनों के बल बैठ गई. मैंने उनका पैंट का हुक खोलकर पैंट और चड्डी को एक साथ नीचे पैरों में खिसका दिया. मेरे पति का मुरझाया हुआ लंड अब मेरे सामने था. पहले तो मैं अपने हाथों से अपने पति का लंड और नीचे झूलते अंडों को हाथों से सहलाने लगी. मेरा हाथ लगाते ही उनका लंड फनफनाने लगा. पति के लंड ने जल्द ही अपना पूरा आकार ले लिया. मैंने मेरे पति का लंड अपने मुँह में भर लिया और अपना मुँह आगे पीछे करके उनका लंड चूसने लगी. लंड चुसाई शुरू होते ही नीचे मेरी चुत भी गीली हो गई थी. मैं अपने पति का लंड पांच मिनट तक चूसती रही थी. मैंने पति का लंड चूसकर एकदम गीला कर दिया ताकि मेरे पति का लंड मेरी चुत में आसानी से घुस जाए.
मेरे ब्लाउज को प्रेस करके बाजू में रखकर अब मेरे पति ने मेरी साड़ी को प्रेस करने के लिए ले लिया.
मैं उठकर खड़ी हो गई. मैंने अपनी साड़ी और पेटीकोट एक साथ उठाकर अपनी फूल की डिजाइन वाली चड्डी को निकाल दिया और अपने पति की तरफ अपनी गोरी गांड करके आगे की तरफ झुक कर खड़ी हो गई.
मेरे पति ने इस्त्री को बाजू में रखकर अपने दोनों हाथ मेरे गांड पर रख दिए और मेरे चूतड़ों को प्यार से मसलते हुए हाथ फेरने लगे. फिर उन्होंने मेरे एक चूतड़ पर एक जोरदार चपत मार दी, जिससे मेरे मुँह ससे एक मीठी कराह निकल गई और मेरी गांड लाल हो गई.
अब मेरे पति ने अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ फैलाकर पीछे से अपना तगड़ा लंड मेरी चुत में घुसाने लगे. मैंने हाथ बढ़ा कर अपने थूक से पति का लंड गीला कर दिया था, इसलिए उनका लंड मेरे चुत में आसानी से घुसने लगा.
पहले तो पति ने अपना आधा लंड धीरे-धीरे मेरे चुत में डाल दिया, फिर थोड़ा-सा रूक कर एक जोरदार झटका मारकर अपना पूरा लंड मेरी नाजुक कोमल गुलाबी चुत में जड़ तक घुसा दिया. मेरे पति का लंड सीधे मेरे बच्चेदानी से जाकर टकराया और मेरे मुँह से चीख़ निकल पड़ी.
अभी मैं इस हमले से खुद को संभाल पाती कि तभी मेरे पति ने अपना लंड मेरे चुत से बाहर निकालकर दूसरा हमला कर दिया. मेरी चीख़ फिर से निकल गई. मैं अपना मुँह बंद करने वाली ही थी कि पति ने फिर से अपना लंड मेरे चुत से बाहर निकालकर तीसरा झटका मार दिया. मैं फिर से जोर से चीखी. तीनों बार के झटकों में मेरे पति का लंड सीधे मेरी बच्चेदानी से जा टकराता था. इससे मेरी चुत पानी छोड़ दिया और मेरी चुत पूरी गीली हो गई थी.
चूत में पानी भर जाने से मेरे पति का लंड मेरी नाजुक कोमल गुलाबी चुत में आसानी से अन्दर बाहर होने लगा था. लेकिन अब मेरी तो हालत खराब ही हो गई थी.
अब मेरे पति मेरे दोनों चूतड़ छोड़क़र मेरी साड़ी प्रेस करने लगे और अपना लंड मेरे चुत में अन्दर बाहर करके मेरी चुत चोदने लगे. अब मुझे भी मजा आ रहा था, मैं भी अपनी गांड आगे पीछे करके अपने पति से चुदवाने लगी.
सच बताऊं दोस्तो, इस वक्त मैं तो जन्नत की सैर कर रही थी. मेरे पति अपने लंड से मेरी चुत सटासट चोद रहे थे. मेरे पति का लंड मेरी चुत में जिस मस्ती से अन्दर बाहर हो रहा था, उससे मेरी चुत से ‘पचपच.. खचपच.. खचापच..’ आवाज आ रही थी.
एक लय में मेरे पति अपना लंड मेरे चुत में अन्दर बाहर करे जा रहे थे. उनके हाथ मेरी साड़ी प्रेस करने में लगे थे और उनका कड़ियल लंड मेरी चुत का बाजा बजा रहा था. जल्द ही मेरी चुत से फिर से पानी बाहर निकलकर टपकने लगा था. मेरी चूत के पानी की मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी. कमरे का पूरा माहौल मदहोश कर देने वाला हो गया था.
मेरे पति बीच में साड़ी प्रेस करना छोड़क़र कर मेरे दोनों चूतड़ अपने दोनों हाथों से फैलाकर मेरी चुत चोदने लगते थे. जिससे मेरी बच्चेदानी तक लंड की चोट लगने लगती थी.
तभी अचानक से पति महोदय ने मेरी चुत चोदते चोदते अपना पूरा लंड मेरी चुत से सुपारे तक बाहर निकाला और फिर घचाक से मेरी चुत में अपना मूसल लंड अन्दर तक घुसेड़ दिया.
अभी मैं संभल भी नहीं पाई थी कि उन्होंने फिर से अपना लंड मेरी चुत से बाहर निकालकर फिर से मेरी चुत में जड़ तक डाल दिया. इस तरह से उन्होंने मुझे चौंकाते हुए पांच छह बार अपना लंड पूरा बाहर निकालकर फिर से मेरी चुत में पेल डाला.
आज न जाने क्या बात हो गई थी कि मेरे पति का लंड मेरी चुत के चिथड़े उड़ा रहा था. मैं भी मदहोशी में चुदवाते हुए बड़बड़ा रही थी.
‘आआहा चोदो.. मेरी चुत को ऐसे ही चोदो.. हां ऐसे ही.. आह.. अपना लंड मेरी चुत में जड़ तक डालो.. आह मेरी बच्चेदानी को कुचल डालो..’
आज अपने पति की धमाकेदार चुदाई से मैं तो मानो हवा में तैरने लगी थी. मेरे पति अब मेरे चूतड़ छोड़क़र मेरी साड़ी प्रेस करने लगे और साथ में अपना लंड मेरे चुत में स्लोली स्लोली अन्दर-बाहर करते हुए मेरी प्यारी चुत की चुदाई भी करने लगे.
उधर मेरी साड़ी भी प्रेस हो रही थी और इधर मेरे चुत की चुदाई भी हो रही थी. ऐसी चुत चुदाई में मुझे इतना मजा आया कि मेरी चुत ने दो बार पानी छोड़ दिया था. इसके बाद भी पति महोदय मेरी चूत का भोसड़ा बनाने में लगे हुए थे.
मेरी चुत से पानी बहकर मेरे नाभि की तरफ बाहर आकर, जहां चुत की दरार खत्म होती है, वहां पर बूंद बूंद टपकने लगा था.
मेरे पति न जाने आज किस मूड में थे कि वे मेरी चुत लगातार हचक कर चोदे जा रहे थे. वे बीच बीच में साड़ी भी प्रेस करते जा रहे थे.
वैसे मेरे पति मेरी चुत बड़े आराम से मजा लेते हुए चोदते हैं.. इस तरह से मेरी चुत की चुदाई करना मेरे पति को बहुत पसंद है. लेकिन आज तो उन्होंने गजब ही कर दिया था.
खैर मेरी हालत खराब हो चली थी, लेकिन तब भी मैं उनका पूरा साथ दे रही थी. मेरे पति मेरी चुत को बीस मिनट तक चोदते रहे. मैं भी जमाने से बेखबर होकर अपने पति से अपनी रसभरी चुत चुदवाती रही.
अब मेरी साड़ी प्रेस हो चुकी थी. मेरी चुत चोदते हुए मेरे पति ने साड़ी को ठीक से फोल्ड भी कर दिया. फिर पति ने कहा- लो तुम्हारी साड़ी और ब्लाउज प्रेस हो गई.
मैंने कहा- ठीक है.
करीब दसेक धक्के मार कर पति ने अपने लंड का लावा मेरी चूत में छोड़ दिया. पति के लंड के गरम लावे का मजा लेते हुए मैंने भी कुछ पल यूं ही रुक कर उनके लंड की सारी गर्मी खींच ली. इसके बाद मैंने अपनी गांड को हिलाया, तो मेरे पति ने अपना लंड मेरे चुत से बाहर निकाल दिया.
मैंने मुड़कर पति के लंड को देखा, तो मेरे पति का लंड मेरी चुत के पानी से पूरा लथपथ हो चुका था. मुझसे रहा नहीं गया, मैं झट से घुटनों के बल बैठ गई और अपने पति का लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
आह क्या मस्त स्वाद था. मैं अपने पति का चूत रस से लिपटा हुआ लंड पूरा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी थी. कुछ ही देर में मैंने लंड को चूसकर साफ कर दिया.
अब मेरे पति मुझे उठाकर खड़ा कर दिया और गले से लगा लिया. मेरे नरम मुलायम होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगे. पांच मिनट तक होंठ चूसने के बाद हम दोनों अलग हो गए.
शादी में भी जाना था यार.
अब तो हम दोनों को आदत सी हो गयी है. मैं अपनी साड़ी या फिर ड्रेस पति को प्रेस करने को कहती हूं.. ताकि मेरे पति मुझे कुतिया बना कर मेरी चुत की चुदाई कर सकें.
दोस्तो, मेरी मस्तराम कहानी आपको शायद अच्छी लगी होगी. मेल करके मेरा हौसला बढ़ा देना ताकि मैं अपनी दूसरी चुदाई की कहानी की सच्ची घटना लेकर आपके सामने जल्द ही आ जाऊं.
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