बीवियों को अदल बदल कर चोदने का मज़ा – 2

यह सब देखकर और नेहा का स्पर्श पाकर मेरा लौड़ा एकदम कड़क हो गया था और वह पूरी तरह खड़ा हो चुका था, यही हालत सोहन की भी थी। हम दोनों ने फिर नेहा और नवोदिता की तरफ करवट कर ली और उनके थो़ड़ा और समीप आ गए जिससे मेरा लंड नेहा की टाँग को छूने लगा, और सोहन ने भी लगभग ऐसा ही किया। नेहा और नवोदिता के चेहरे भी लाल हो चुके थे, शायद यह हमारा पहला अनुभव था इसलिए काफी अच्छा लग रहा था। धीरे-धीरे मैंने नेहा के मम्मों पर हाथ रख दिया और उन्हें सहलाने लगा। सोहन भी नवोदिता का पेट और टाँगें सहला रहा था। ब्लू-फिल्म की मादक आवाज़ों ने कुछ और भी मज़ा पैदा कर दिया था।
हम दोनों ने धीर-धीरे उन दोनों की साड़ी ऊपर कर दी। दूधिया रोशनी में उन दोनों की टाँगें और जाँघें ऐसी चमक रहीं थीं कि वहाँ आँखें नहीं ठहर पा रहीं थीं। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  यह कह पाना मुश्किल था कि दोनों में से कौन अधिक गोरी थी। नेहा ने लाल रंग की कच्छी पहन रखी थी। साथ में हम गन्दी बातें भी कर रहे थे, जो बड़ी मस्त लग रही थीं। नवोदिता ने काली कच्छी पहन रखी थी। नेहा की कच्छी नीचे से गीली थी, जिससे लगता था वह पूरे मज़े में है, वही हाल नवोदिता का भी था।
सोहन – यार अनिकेत तेरी बीवी साली बड़ी मस्त है, इसकी चूत क्या फूली हुई लग रही है ऊपर से।
अनिकेत – हाँ यार तेरा माल भी बड़ा मस्त लग रहा है, सोचता हूँ खा जाऊँ।
सोहन – चल यार दोनों को नंगा कर देते हैं (उसने नवोदिता के कपड़े उतारने शुरु कर दिए।)
उसको देखकर मैंने भी नेहा के कपड़े उतारने शुरु कर दिए।
नवोदिता – अरे तुम दोनों भी तो नंगे हो जाओ, या ऐसे ही पड़े रहोगे?
फिर देखते ही देखते हम चारों नंगे हो गए। ट्यूबलाईट की रोशनी में हम चारों के बदन ऐसे चमक रहे थे कि पूछिए मत, शायद ऐसा मज़ा पहले कभी नहीं आया मुझे।
सोहन – मैं तो नवोदिता की चूत चाटूँगा! (और उसने नवोदिता की चूत चाटनी शुरु कर दी।)
अनिकेत – मैं भी नेहा की चूत ही चाटूँगा! (और मैंने भी नेहा की चूत चाटनी शुरु कर दी।
नेहा – चाटो राजा चाटो, ज़ोर से चाटो… आज बहुत मज़ा आ रहा है… आआआ… उउअअमममममम… खा जाओ आआहहहाहा…
नवोदिता – ज़ोर से चाटो… आआहहहह… उम्म्म्म्म्ममममम आहहाहाहाहाह- आऊचच्च्च वाऊ
क़रीब २०-२५ मिनट तक चूसने के बाद नेहा ने मुझे बालों से पकड़ कर ज़ोर से अपनी चूत पर चिपका लिया। मुझे लगा कि वह झड़ने वाली है और थोड़ी ही देर में ही वह मेरे मुँह में झड़ गई। उसने मेरा मुँह पूरा भिगो दिया था। ऐसा लग रहा था कि मैं मुँह धोकर आया हूँ। फिर हम दोनों सोहन और नवोदिता को देखने लगे। नवोदिता भी बस अब झड़ने ही वाली थी और देखते ही देखते वह भी सोहन के मुँह में झड़ गई, वह दृश्य बड़ा ही मस्त था जब वह झड़ रही थी। मैंने आगे बढ़कर उसके होंठों को चूम लिया।
फिर हम चारों एक दूसरे के होंठ चूमने लगे। मैंने कस-कस कर नेहा के होंठों को चूसना शुरु कर दिया। कुछ देर चूसने के बाद मैंने नेहा को बिस्तर के पीछे दीवार से लगा दिया और उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब वह हिल नहीं सकती थी, और मैं उसके मुँह में ही धक्के मारने लगा। वहीं सोहन ने नवोदिता को बिस्तर पर लिटा कर उसके मुँह में अपना लंड डाल कर झटके मारने शुरु कर दिए। मैंने ध्यान दिया तो मुझे सोहन का लंड बड़ा मस्त लगा।
सोहन – अनिकेत मज़ा आ रहा है ना?
अनिकेत – हाँ यार, ऐसा मज़ा तो पहले कभी नहीं आया। यार दोनों एक ही साथ झड़ेंगे।
सोहन – “आज इन बहन की लौड़ियों को मस्त करके छोड़ेंगे, हर तरह से जैसे ब्लू-फिल्मों में देखा करते हैं।
अनिकेत – हाँ आज सारी हसरतें जो सिर्फ हम सोचते थे वह पूरी करेंगे।
क़रीब २०-२५ मिनट बाद बातें करते-करते हम झड़ने लगे और मैंने अपना सारा माल नेहा के मुँह में डाल दिया। वहीं सोहन ने भी अपना पूरा माल नवोदिता के मुँह में उड़ेल दिया था। वे दोनों बाथरूम में जाने लगे, मुँह साफ करने के लिए, पर हमने उन्हें रोक दिया। मैंने नेहा को कहा कि वह अपने मुँह का सारा माल नवोदिता के मुँह में डाल दे, जैसे ब्लू-फिल्मों में करते हैं। शायद नशे में होने के कारण या मज़े की वज़ह से नवोदिता ने भी अपना मुँह खोल दिया और नेहा ने अपने मुँह का सारा माल नवोदिता के मुँह में डाल दिया। फिर हमने नवोदिता को कहा कि वह अपने मुँह का सारा माल नेहा के चेहरे पर गिराए। नवोदिता ने वैसा ही किया। फिर मैंने और सोहन ने वह सारा माल उन दोनों के चेहरे पर से पोंछ दिया। उसके बाद नेहा और नवोदिता ने हम दोनों को चूम लिया और एक बार फिर हम लोगों के होंठ एक दूसरे से जुड़ गए। हम इन बातों की बस कल्पना ही करते थे, पर आज करके कुछ अच्छा और थोड़ा अजीब सा लग रहा था, शायद पहली बार करने के कारण।
उसके बाद हमने एक-दूसरे को साफ करके दुबारा ब्लू-फिल्म देखने में लग गए। इस बार दोनों लड़कों ने अपना लंड एक लड़की की चूत और गाँड में डाल रक्खा था और दूसरी लड़की एक लड़के को चूम रही थी और कभी-कभी नीचे वाला लड़का उसकी चूत भी चाट लेता था। यह सब देख सोहन बोला।
सोहन – यार क्या मस्त चुदाई हो रही है, नवोदिता तुम्हारा क्या ख्याल है इस बारे में?
नवोदिता – अरे हम तो कितने भी लंड ले लेंगे, तुम डालने वाले बनो।
पहली बार नवोदिता के मुँह से लंड शब्द सुनने के बाद सोहन कुछ अधिक ही उत्तेजित हो गया और वह नेहा और नवोदिता के बीच बैठ गया और दोनों की जाँघें सहलाने लगा। मैं भी जाकर उन लोगों के पास बैठ गया।
अनिकेत – यार सोहन तु्म्हारी बीवी बड़ा मस्त लंड चूसती है।
नेहा – तुम भी तो बड़ी मस्त चूत चाटते हो।
हम लोग इसी तरह की बातें करने लगे। नेहा मेरा और नवोदिता अनिकेत का लंड सहला रही थी। अब तक हमारे लंड पूरी तरह खड़े हो चुके थे और हम चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार थे। अचानक सोहन मेरा लंड पकड़ते हुए बोला – यार अनिकेत तेरा लंड तो बड़ा मस्त है, नवोदिता तू तो बहुत खुश रहती होगी।
इसकी इस हरक़त का मुझे अंदाज़ा नहीं था, पर उसकी इस हरक़त की वज़ह से मेरे शरीर में नई झुरझुरी दौड़ गई और मेरा लंड और भी कड़ा हो गया। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अनिकेत – हाँ पर तुम्हारा लंड भी बड़ा मस्त है यार, भाभी की चूत तो निहाल हो जाती होगी।
सोहन – वो तो तुम नेहा से ही पूछ लो।
नेहा – लंड में क्या रखा है, कौन कितना मज़ा दे पाता है बात इस पर निर्भर करती है।
नवोदिता – नेहा, चलो एक-एक पैग और बना लाते हैं।
नेहा – हाँ चलो।
उनके जाने के बाद मेरा भी मन सोहन का लंड पकड़ने का हुआ, और मैंने उसके लंड पर हाथ रख दिया। मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस हुआ कि मैंने कोई गरम चीज़ पकड़ ली हो, लेकिन मुझे बहुत अच्छा लगा।
सोहन – ज़ोर से पकड़ो यार। (और वह भी मेरा लंड पकड़ लेता है और मुट्ठ मारने लगता है। मैं भी उसका मुट्ठ मारना शुरू कर देता हूँ। हमारे लंड और भी कड़े हो गए।)
अनिकेत – यार जब हमारी बीवियाँ इसे मुँह में लेतीं होंगी तो उन्हें कैसा लगता होगा?
सोहन – हम भी लेकर देख लेते हैं।
अनिकेत – बीवियाँ देखेंगी तो क्या सोचेंगी?
तब तक नेहा और नवोदिता आ जाती हैं और हम सामान्य होकर बैठ जाते हैं। पैग पीने के बाद हम लोग फिर ब्लू-फिल्म देखने लग जाते हैं, साथ ही एक-दूसरे को चूमना भी शुरु कर देते हैं।
मैंने नेहा को सीधा लिटाकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। मुझे अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ी और मेरा लंड उसकी चूत में जड़ तक घुस गया। वहीं दूसरी तरफ सोहन , ने भी नवोदिता को घोड़ी बना कर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। हम लोग इस स्थिति में लेटे थे कि नवोदिता का मुँह नेहा के मुँह के ऊपर आ रहा था और वो दोनों आसानी से एक-दूसरे को चूम सकतीं थीं। मैं भी कभी-कभी धक्के मारते हुए नवोदिता को चूम लेता था। वहीं सोहन भी नेहा को चूम लेता था। बीच-बीच में बड़ा ही मस्त दृश्य उपस्थित होता था। नेहा और नवोदिता की आहहहह… उम्म्मम्म… आउउच्चचच की आवाज़ें आ रहीं थीं। क़रीब आधा घंटा चोदने के बाद जब हमें लगा कि अब हम झड़ने वाले हैं तो मैंने सोहन को आँख मार दी, शायद वह मेरी बात समझ गया था।

तब तक नेहा और नवोदिता भी झड़ चुकीं थीं। हम दोनों ने उन्हें सीधा लिटाकर उनके मुँह की तरफ मुट्ठ मारनी शुरु कर दी। वे हमारा मतलब समझ कर थोड़ी आनाकानी करने लगीं, पर हम उनके ऊपर बैठे थे तो वे उठ नहीं सकतीं थीं। कुछ ही देर में हमने अपना सारा माल उनके मुँह पर उड़ेल दिया और पस्त होकर लेट गए। उनका पूरा मुँह हमारे वीर्य से भर गया था। तभी वे दोनों उठीं और हमें कस के पकड़ कर हमें चूमने लगीं। अब हमारा ही वीर्य हमारे मुँह में था। पहले-पहले थोड़ा सा अजीब सा लगा पर जब उन दोनों ने हमें नहीं छोड़ा तो हमें भी अच्छा लगने लगा। फिर हम लोगों ने बाथरूम में जाकर स्वयं को साफ किया। हम लोग वापिस बिस्तर पर आकार आराम से बैठे, तब तक थोड़ी-थोड़ी भूख लग आई थी, तो मैंने नवोदिता को कहा कि थोड़ा नाश्ते का प्रबन्ध कर ले। तो नेहा और नवोदिता दोनों किचन में चली गईं और थोड़ी देर में वह गरमा-गरम नाश्ता ले आई। हमलोग नाश्ता करने लगे। हम लोग नंगे ही बैठे थे और टीवी पर ब्लू-फिल्म चल रही थी। लगभग आधा घंटा बैठने के बाद हम लोग दोबारा गरम होने लगे थे। तब नवोदिता बोली, मैं बर्तनों को किचन में रख आती हूँ, और वह किचन में बर्तन लेकर चली गई।। तब तक मैंने नेहा को अपने पास खींच कर उसे अपने ऊपर बिठा लिया था और अपना लंड ठीक करके उसकी चूत के दरवाजे पर सटा दिया। नेहा थोड़ा ऊपर उठकर फिर उसपर बैठ गई थी और हिलने लगी थी। तभी मुझे भारीपन का अहसास हुआ। जबतक मैं कुछ समझ पाता, सोहन ने अपना लंड नेहा की गाँड में टिका दिया था, अब नेहा में दो लण्ड घुसे हुए थे और सोहन धक्के पर धक्के मारने लगा था। मैंने धक्के मारने शुरु नहीं किए थे क्योंकि सोहन के धक्कों से मेरा लंड अपने-आप ही अन्दर बाहर हो रहा था। तबतक नवोदिता भी आ चुकी थी।
नवोदिता – अरे, नेहा ने २-२ लंड ले लिए।
नेहा – नहीं यार, ये पीछे से इन्होंने डाल दिया।
सोहन – क्यों, तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा है क्या?
अनिकेत – मुझे तो मस्त मज़ा आ रहा है।
नवोदिता हमारे सामने बैठकर सोहन के होंठ चूसने लगी और नेहा मेरे होंठ चूस रही थी। थोड़ी देर चोदने के बाद :
सोहन – पार्टी बदली जाए?
अनिकेत – क्यों नहीं।
और वह नेहा की गाँड से हटकर नवोदिता को अपने ऊपर बिठा लेता है, और चूत में लंड डाल देता है। कुछ देर वैसे ही चोदने के बाद मैंने अपना लंड निकाला और नवोदिता की चूत में डालने लगा। उसे थोड़ा दर्द हुआ पर थोड़ी कोशिश के बाद हम दोनों के लंड उसकी चूत में थे। ऐसा हमने उसी फिल्म में देखा था। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी चूत ऐसी टाईट लग रही थी कि बस पूछिए मत और नीचे से सोहन के लंड का एहसास जो बिल्कुल लकड़ी की तरह कड़क था। एक अजब सा अहसास हो रहा था। पहली बार मेरा लंड किसी दूसरे के लंड के साथ टकरा रहा था। थोड़ी देर में हमने फिर पार्टी बदल ली। इस बार मैंने नेहा की गाँड में लंड डाला तो सोहन बोला – क्यों ना इस बार गाँड में लंड डालें। तब मैंने इसका लंड नेहा की चूत में से बाहर निकाल कर नेहा की गाँड में सटा दिया। सोहन का लंड काफी कड़क लग रहा था। हमने दोनों लंड नेहा की गाँड में डालने की कोशिश की, उसे दर्द भी बहुत हुआ पर थोड़ी कोशिश के बाद दोनों लंड उसकी गाँड में थे। वैसे चोदने में बहुत ही मज़ा आ रहा था। करीब २०-२५ मिनट बाद हमलोग उसकी गाँड मे ही झड़ गए। अब तक हमारे लंडों की हालत ऐसी हो चुकी थी कि वो दुबारा खड़े होने की हालत में नहीं थे।
हम लोग नवोदिता और नेहा को छोड़ कर ड्राईंग रूम में आ गए थे।
अनिकेत – यार दिल भर गया पर मन नहीं भरा।
सोहन – हाँ यार, अभी तो और चोदने का मन कर रहा है।
अनिकेत – पर यह लंड पता नहीं कब तक खड़े होंगे।
सोहन – एक तरीका है इन्हें खड़ा करने का।
अनिकेत – कौन सा तरीका?
तब अनिकेत ने मेरा लंड अपने हाथों में ले लिया और उसे सहलाने लगा। उसके ऐसा करने से मेरा लंड फिर हल्के-हल्के खड़ा होने लगा था। मैंने भी उसका लंड पकड़ कर ऐसा ही किया, पर वो पहले वाली बात नहीं आ रही थी। तभी सोहन ने कुछ ऐसा किया कि मेरा लंड पहले से भी अधिक कड़क हो गया। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया था, उसकी ऐसी हरक़त की मुझे उम्मीद नहीं थी, पर मेरा लंड एकदम से कड़क हो चुका था। मुझे ना जाने क्या हुआ कि मैंने भी उसका लंड अपने मुँह में डाल लिया और जैसा कि मुझे लगता था, उसका लंड भी कुछ ही देर में पूरी तरह टाईट हो चुका था। बड़ा ही मस्त लग रहा था उसका लण्ड। और फिर हम जुट गये एक दुसरे की बीवियों की चुदाई में | मित्रो अब अपनी कहानी यही पर समाप्त करता हु |

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