प्रेषक :करण
हेल्लो दोस्तों ,मेरा नाम करन है, मैं राजस्थान अजमेर का रहने वाला हूँ। यह मेरी पहली कहानी है।बात उन दिनों की है जब मैं अपनी चाची के यहाँ पर गया हुआ था। गर्मियों का मौसम था।मेरी चाची की उम्र लगभग 32 साल की है। मोटे चूचे, मोटे चूतड़, उनके शरीर का आकर सुराही के जैसा है। जो देखे वो बस दीवाना ही हो जाए। बहुत ही गजब हैं वो। मुझे भी वो बहुत अच्छी लगती थीं।वैसे मेरा उनको चोदने का मन बहुत दिनों से कर रहा था, पर डरता था कि वो कहीं किसी को बता न देवें।
फिर एक दिन बातों-बातों में उनके पड़ोसी से चाची की बात होने लगी, जो मेरे दोस्त जैसा ही है। हम चाची की बात करने लगे।उसने मुझे कहा- यार तेरी चाची तुझे चूत दे देगी, कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि मैंने खुद उनकी चूत ली है। मुझे मालूम है कि वो किस तरह की है। तू चिंता मत कर और जाकर बात कर।और इस तरह उसने मुझे एक आईडिया दिया। मैं शाम को सात बजे उनके कमरे में गया।
उन्होंने कहा- आओ करन, बैठो क्या बात है? जब से आये हो, तब से मुझसे कम बात कर रहे हो। उन्होंने मुझसे मजाक में कहा।मैंने कहा- कुछ नहीं, ऐसी बात नहीं है। मैं उनके पलंग पर बैठ गया और मैंने चाची से कहा- चाची जी मेरे पैरों में बहुत दर्द हो रहा है।तो चाची ने झट से कहा- लाओ मैं तेल से मालिश कर देती हूँ।
मैं तो यही चाहता था। मैंने अपना पजामा ऊपर कर लिया। लेकिन पजामा पहने हुए तेल लगाने में दिक्कत हो रही थी।
चाची ने कहा- पजामा उतार दो और अच्छी तरह से तेल लगवा लो।मैंने पजामा खोल दिया। मैं अब केवल अन्डरवियर और बनियान में था। मेरा लंड अब धीरे-धीरे खड़ा होने लगा और उनके हाथ लगाने से उसमें और कड़कपन आने लग गया।मैं अपने खड़े लंड को बनियान में छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगा, लेकिन वो मेरे लंड को बहुत प्यासी नजरों से देख रही थीं।चाची पैरों में तेल लगा रही थीं, तो मैंने धीरे से उनकी चूचियों पर अपनी कोहनी हल्के से छुआई, पर वो कुछ नहीं बोलीं।
उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी। फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ उनकी चूचियों पर रख दिया, तो भी वो कुछ नहीं बोल रही थीं। बस इधर-उधर की बातें कर रही थीं।उनके विरोध न करने पर, अब मैं उनकी चूचियों को हाथ में लेकर धीरे-धीरे दबाने लगा। वो कुछ नहीं बोलीं।उन्हें भी मजा आने लगा और वो बोलीं- चलो, आज यहीं सो जाओ। अँधेरा बहुत हो गया है।तो मैंने कहा- ठीक है।चाची ने अपनी साड़ी उतार दी और ब्लाउज को भी उतार दिया।
मैंने पूछा- चाची यह क्यों?
तो चाची बोली- मैं तो ऐसे ही सोती हूँ।
फिर तो चाची मेरे पास आकर लेट गईं और मैं फिर से उनकी चूचियों को दबाने लगा, चूचियों को मुँह में ले कर चूसने लगा।उन्हें बहुत मजा आ रहा था और जोर-जोर से चूचियों को चुसवा रही थीं। जोर-जोर से मेरे मुँह को अपने वक्ष पर दबा रही थीं। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।मैंने उनके पेटीकोट को भी ऊपर कर दिया। और फिर उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ लिया और जोर से दबाने लगीं। मुझे बहुत मजा आ रहा था।मैं चाची के चेहरे को अपने लण्ड के पास ले गया। चाची ने झट से मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और जोर से चूसने लगीं।
चाची ने मेरा लण्ड पांच मिनट तक चूसा। इस बीच मैं चाची की चूचियाँ लगातार दबा रहा था।फिर चाची ने मुझसे कहा- करन अब तुम मेरी चूत चाटो।मैंने चाची को मना कर दिया, पर एक बार फिर कहा तो मैंने उनकी चूत चाटनी शुरू कर दी।“क्या गजब की सुगंध थी।”
उनकी चूत में से उसमें लगातार पानी जैसा कुछ गिर रहा था, बहुत नमकीन था।मैं उनके दाने को जीभ से चाट रहा था। कभी उनकी चूत में पूरी की पूरी जीभ डाल देता। उनको बहुत मजा आ रहा था।फिर उन्होंने मेरे लंड को पकड़ कर कहा- करन, अब मत तड़पा, जल्दी से घुसा दे, अपने मोटा लंड मेरी चूत में। अब बर्दाश्त नहीं होता है। जल्दी कर ना !
चाची अपनी चूत खोल कर मेरे सामने लेट गईं और मेरे लंड को पकड़ कर घुसाने लगीं।
मैंने थोड़ा और चाची को तड़पाना चाहा, मैं अपना लंड चूत के आस-पास घुमाने लगा। कभी थोड़ा अन्दर करूं, तो कभी थोड़ा इधर-उधर।
चाची तड़प रही थीं। उन्होंने मेरे लंड को पकड़ कर सीधे चूत के द्वार पर रख दिया। अब मैं भी रुक न सका और जोर से चाची की चूत में लंड घुसा दिया !
“आ… अ…” चाची थोड़ा चीखीं, पर शांत हो गईं। अब मेरा लण्ड चाची की चूत में फिट हो गया था। मैं जोर-जोर से घक्के मार रहा था।
उधर चाची सिसिया रही थीं, “उन… ऊं… ऊं… आई… ई ई सी… सी उफ़… उफ़ हाई… मजा आ रहा हा है…”
चाची को चुदाई में खूब मजा आ रहा था, वो लगातार बड़बड़ाए जा रही थीं, “ऊई… उफ़… हही… जोर से करन… और जोर से… बहुत मजा आ रहा है। अब तक तू कहाँ था ! कितने दिनों से मैं प्यासी थी। तेरे चाचा तो साल में एक बार ही घर आते हैं नौकरी से और मैं हमेशा प्यासी रहती… हूँ उ… उ… उई… उई… ई… है ई… और जोर से… और जोर से…”
वो अपनी गांड उठा-उठा कर भी मेरे लंड को अपने चूत में ले रही थी, सिसकारियाँ ले ले कर चुदवा रही थी।
“हाय करन !” अब उन्होंने मुझे कहा- अब तू लेट जा। मैं तेरे ऊपर आकर चुदूँगी।
फिर वो मेरे ऊपर आ गई और अपनी चूत में मेरा लंड लेकर जोर-जोर से झटके मारने लगीं।
मैं भी नीचे से ऊपर कमर उठा-उठा कर उन्हें चोद रहा था। बहुत मजा आ रहा था।
अचानक चाची के बदन में ऐंठन होने लगी, और वो झट से मेरे ऊपर से नीचे उतर गईं।
मुझसे कहा- चल अब तू चोद जोर-जोर से ! अब मेरा माल निकलने वाला है। मुझे लेट कर माल निकलवाने में मजा आता है।
मैंने भी देर नहीं की और सटाक से अपना लौड़ा पेल दिया
“जोर-जोर से चोद मेरे राजा… जोर-जोर से…”
मैं उन्हें जोर-जोर से चोद रहा था। सच में मैं स्वर्ग में था। खूब मजा आ रहा था।
फिर चाची नीचे से कमर उठाने लगीं और मुझे जोर से पकड़ कर दबाने लगीं, बोलीं- करन, अब मैं झड़ने वाली हूँ।
“ऊई… आह… ई… उम्म…” की आवाज करते हुए चाची झड़ने लगीं।
मेरा भी बुरा हाल हो रहा था। मैं भी झड़ने वाला था। मैंने चाची को कहा- चाची मैं भी झड़ने वाला हूँ।
“मेरी चूत में ही झड़ जा…”
मैं पूरी ताकत से धक्के लगाने लगा, और फिर जोर से चाची को पकड़ लिया और एकदम से झड़ गया।
“हाई… ई… उम्म… चाची… आई लव यू…” और मैं उनके ऊपर ही ढेर हो गया।
कुछ देर तक लेटने के बाद चाची और मैं बाथरूम गए, फ्रेश हो कर आये और सो गए।
सोते-सोते न जाने कब मेरी नींद खुली, तो देखा की चाची मेरे लंड से खेल रही थीं। फिर हमारी वासना ने एक बार और सम्भोग के लिए मजबूर किया। उस रात मैंने चाची की गांड भी मारी।
तो दोस्तो, यह थी मेरी चाची की मेरे साथ चुदाई की कहानी।