हेलो दोस्तों मैं हर्ष आप सभी क लिए एक नयी कहानी दोस्त की माँ की चुदाई लेके आया हूँ! मैं २४ साल का हूँ और मेरी पिछली कहानियो को पढ़ने क लिए और मुझे मेल करने क आप सभी का बहुत शुक्रिया!
मैं अँधेरी में रहता हूँ, अब आप सब को बोर न करते हुए सीधा स्टोरी पे आता हु! मेरा एक दोस्त है विजय उसकी शादी फिक्स हो गयी थी वह रहता था मुंबई में लेकिन उसकी शादी गांव में थी!
उसने सभी फ्रेंड्स को बुलावा किया था शादी में और उसके घर में उसकी माँ रुपाली आंटी 40 साल उसके डैड रमेश 45 साल के! उसके डैड नेवी में थे तो वह 6 महीने 1 बार घर आते थे. लेकिन अभी उनके बेटे क शादी थी तो वह छुट्टी पे थे. उसकी माँ बहुत खूबसूरत थी उनका फिगर ३६-३०-३८ था. अपने आप को बहुत मेन्टेन कर रखा था उन्होंने. लेकिन मैंने कभी उनको चुदाई क नज़रिये से देखा नहीं था.
विजय ने हम सब को २ दिन पहले ही बुलाया था शादी में शामिल होने क लिए. लेकिन बाकि सब दोस्तों को पॉसिबल नहीं था तो मैं अकेला चला गया सोचा कुछ हेल्प व् हो जाएगी!
तो शादी क २ दिन पहले मैं वह पहुँच गया. सारा घर मेहमानो से भरा हुआ था मैं और विजय मिलके कुछ न कुछ काम कर ते रहते थे! विजय क माँ डैड व् कुछ न काम मुझे हसी खुसी कह देते थे. बड़ा अच्छा लग रहा था!
ऐसेही फर्स्ट डे निकल गया. रात को सोते वक़्त मुझे नींद नहीं आरही थी और बाकि सब सो रहे थे!
मैंने सोचा क्यों विजय को जागो और मैं ऐसे ही निचे और जाने क लिए निकल गया. जब मैं निचे उतर रहा था तभी मुझे साइड क रूम कुछ आवाज सुनाई दी !
तब मैं उसकी और बढ़ा और खिड़की से अंदर देखा. क्या नज़ारा था जो मैं देखा मैं तो शॉक ही रह गया!
आंटी पूरी नंगी थी अहह… क्या दिख रही थी उनको देख क तो मेरा लंड व् खड़ा हो गया था और अंकल नंगे सोये थे और आंटी उनका लंड मुँह में लेके चूस रही थी और अंकल सिसकिया ले रहे थे!
अंकल: अह्हह्ह्ह्ह रूपा आज इतने दिनों बाद बहुत मज़ा आ रहा है और चुसो मेरी जान अह्ह्ह्ह… Hindi Sex Story
आंटी: हाँ जी मैं व् बहुत प्यासी थी कितने दिनों बाद आज हम कर रहे है.!
अंकल: ाहः. अब जब व् हमे मौका मिलेगा मैं तुम्हे चोद दूंगा तुम्हारे सिवा रहा नहीं जाता और दोनों चुदाई करने लगे उनको देख क मेरे लंड में व् अब तूफ़ान मचल रहा था!
मैं झट से निचे गया और बाथरूम में जाके मूठ मरने लगा आंटी क नाम से तब मुझे शांति मिली और फिर जेक सो गया!
दूसरे दिन जब मैं उठा मुझे बस आंटी का नंगा रूप ही सामने आ रहा था और मेरा लंड बार बार खड़ा हो रहा था क्या करू कुछ समझ नहीं आरहा था जब मैं आंटी को देखता था ऐसे लगता था क अभी पकड़ क चोद दालु आंटी को!
लेकिन डर व् लगता था. फिर मैं व् काम में व्यस्त हो गया और सब को काम में मदद करने लगा. मेरा दोस्त विजय किसी रिलेटिव क यहाँ गया था और वह शाम को आने वाला था और मैं घर में कुछ न कुछ काम कर रहा था !
तभी विजय क चाचाजी ने मुझे कुछ चेयर्स लेन क लिए बोलै उनके स्टोररूम से और मैं वह चला गया. मैंने देखा स्टोर रूम का दूर पहले से खुला हुआ था और मैं धीरे से अंदर गया!
अंदर पूरा अँधेरा था तभी अचानक से किसी ने मुझे पीछे से पकड़ा मैं थोड़ी देर हिला नहीं फिर आवाज आयी.!
आंटी: क्या तुम व् न कितना देर लगायी आने में कल हमारा तय हुआ हुआ था की आज सुबह स्टोर रूम में मजे करेंगे! तब मुझे समाज में आया क ये विजय की मम्मी है और वह मुझे विजय क पिताजी समाज रही थी!
मैं व् चुप होकर मज्जे ले रहा था. स्टोर रूम क अँधेरे में किसी व् चेहरा दिख नहीं रहा था.अब वह मुझे पीछे से चूमने लगी फिर मैं व् अब पीछे मुदा और उन्हें चूमने लगा गया और उनके होंठो को चूमने लगा!
अह्ह्ह्ह क्या रसीले थे उनके होंठ मुझे बहुत मज़ा आ रहा था जिसे मैंने कल नंगा देखा था वह आज मेरी बाँहों में थी.
आंटी: अह्ह्ह्ह जल्दी करना बहुत काम पड़े है अब मैं व् उनके बूब्स दबाने लगा था ब्लुएसे क ऊपर से ही और मैं उसके हुक्स निकलने जा रहा था!
तभी आंटी ने कहा.
आंटी: क्या कर रहे आप अब ऐसे ही ऊपर से दबाव न रात को दबा देना अंदर से. फिर मैंने उनकी बात मणि और दबाने लगा अब वह निचे बैठी और मेरी पंत की ज़िप खोल दी और मेरा लंड बहार निकल क उसे सहलाने लगी..
आंटी: आह्हः… आज इसका साइज कुछ ज्यादा लग रहा है.. मैंने कुछ नहीं कहा बस उनके बालों को सहलाते सहलाते आगे की और प्रेस करने लगा.
जिससे आंटी को लगा मुझे यानि उनके हस्बैंड को मुँह चोदना है और वह मेरे लंड को चूमने लगी थी अह्ह्ह… सच में आंटी क्या लंड चूस रही थी मनो वह एक्सपर्ट है उसमे अह्ह्ह बहुत मज़ा आरहा था आह्ह्ह्ह.. फिर मेरा सारा जूस आंटी क मुँह में चला गया और आंटी ने उसे पि लिया अह्हह्ह्ह्ह…
आंटी: आह्हः क्या हुआ जी आज आप का मलाई का टास्ते कुछ अलग ही था मज़ा आगया अह्ह्ह्ह… अब फिर से हम दोनों एकदूसरे को चूमने लगे.!
फिर थोड़ी देर बाद आंटी ने कहा.
आंटी: चलो अब दाल दो अपना लंड मेरी चुत में बहुत प्यासी है. और मैंने आंटी को चेयर पे बिठाया और निचे बैठ क उनकी साड़ी ऊपर कर ली और उनके जांघो को चूमते चूमते उनकी चुत चाटने लगा
क्या चुत थी उनकी एकदम टेस्टी मज़ा आ रहा था चूसने में. आंटी: आज आप मेरी चुत चाट रहे हो कितना अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्हह…. फिर थोड़ी दे रेज ही मैं उनकी चुत चाटता रहा.
अब मेरा लंड व् फिर से खड़ा होगया था अह्ह्ह्हह्हह….
आंटी: आह्हः अब दाल दो अपना लंड मेरी चुत में अहह रहा नहीं जाता अब… अहह. अब मैंने उनके दोनों पेअर चेयर क हैंड्स पर रख कर अपना लंड उनकी चुत में घुसाने लगा.
आंटी: अह्ह्ह्ह… धीरे करो न अह्ह्ह….. आज दर्द हो रहा है… अह्ह्ह्हह.. पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा आज तुम्हारा लंड बड़ा लग रहा है. फिर मैंने व् धीरे धीरे चुदाई करने चालू की और जब वह व् मेरा साथ देने लगी. अब मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा था.
आंटी: अह्ह्ह्ह…चोदो मुझे और जोर से चोदो आज कितना अच्छा चोद रहे हो तुम अहहहह… मैं उन्हें जोर लगाके शॉट मर रहा था अह्ह्ह उनकी चुत व् बहुत नरम और गर्म थी करीब २० मं बाद हम दोनों एक साथ फारिग हुए मैंने सारा जूस उनके चुत में दाल दिया यार मजा आ गया.
फिर वह उठी और अपने कपडे ठीक करने लगी..
आंटी: हाजी आज बहुत मज़ा आया ऐसेही चोदो मुझे अह्ह्ह ाःह ….अब रात को मिलते हैं बिस्तर पे अह्ह्ह्ह और मुझे बाँहों में लेके चुके चली गयी. मैं व् थोड़ी देर रुका और चेयर उठके बहार लेके आ गया जब मैं बहार आया तभी देखा क आंटी अंकल और विजय क चाचाजी वह बैठे थे आंटी चेहरे पे संतुष्टि क भाव थे!
तभी मैंने उनके सामने चेयर्स रख दी.
चाचाजी: अरे हर्ष बेटा बड़ी देर लगा दी चेयर लेन में स्टोर रूम से..
मैं: अह्ह्ह चाचाजी वह थोड़ा अँधेरा था इसीलिए कुछ दिख नहीं रहा था. तभी उसी समय आंटी ने एक बार अंकल की तरफ देखा और मेरी तरफ देखा. और वह चौंक गयी लेकिन उन्होंने ऐसा दिखाया नहीं वह नार्मल रही मैं व् उनसे नज़ारे नहीं मिला रहा था.
मैं: चाचाजी कुछ और लाना है क्या स्टोर रूम से. चाचाजी: नहीं बेटा बस बाद में देखेंगे अभी जेक सिर्फ बंद करके आजा.
मैं: ोकक चाचाजी..
और मैं वह से चला गया स्टोर रूम और दो मिनट बाद आंटी वह पे आयी. वो थोड़ी दरी हुयी थी और कहने लगी.
आंटी: बेटा मुझे माफ़ करदे मुझे नहीं पता था तू यहाँ आने वाला था मुझे लगा क मेरे पति है प्लीज बेटा ये बात किसी को मत बताना नहीं तो मैं कहीं नहीं रह जाउंगी प्लीज बेटा ..
मैं: ओके आंटी नहीं बताऊंगा आप चिंता न करे मैं समझ सकता हूँ आपकी भवनए. और बोलते ही आंटी ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मैंने व् मौका देखते ही उन्हें चुम लिया और उनकी गांड मसलने लगा.. आंटी: चलो हटो तुम व् न शैतान हो मुझे नहीं पता था लेकिन तुम्हे तो बताना चाहिए था.
मैं: क्या करूँ आंटी जी रहा नहीं गया जब आपने मुझे बाँहों में लेके चूमने लगी थी तभी और एक बात बोलू मैंने कल रात में आपको नंगा देखा था अंकल से चुदवाती तभी मैं व् तड़प रहा था.
सच में आप बेहद खूबसूरत हो और अगर नंगी हो जायो तो एक पारी लगती हो.
ये कह कर उन्हें किसिंग करने लगा अब वह व् मेरा साथ देने लगी फिर उन्होंने कहा.
आंटी: चलो बेटा मैं चलती हूँ..सब लोग ढूंढ रहे होंगे मुझे.. मैंने व् ये उचित समझा और उनसे अलग हो गया..
मैं: फिर कब मिलोगी आंटी जी आप क साथ बहुत मज़ा आया…
आंटी: अह्ह्ह बेटा मुझे भी मज़ा आया तुम्हारे अंकल ने व् कभी ऐसी चुदाई नहीं किट ही मेरी ोकक बाई मैं चलती हूँ.
फिर आंटी चली गयी अब मैंने स्टोर रूम बंद कर दिया और बहार जेक थोड़ा बहुत काम करने लगा फिर शाम को विजय का फ़ोन आया क वह आज नहीं आनेवाला है कल सुबह आएगा मैंने ये बात आंटी बता दी तभी आंटी ने कुछ सोचा और कहा.
आंटी: अच्छा बेटा आज तुम अकेले उस रूम में सोना अगर कोई बात की जरुरत होगी तो मुझे बता देना. मैं आंटी का इशारा समझ गया और मैं खाना खाने चला गया फिर खाना खाने बाद सब अपने अपने कमरे चले गए मैं व् अपने कमरे आया सोने लगा.
लेकिन नींद ही नहीं आ रही थी. फिर कुछ १२.३० बजे आंटी मेरे कमरे आयी. मैं खुश होक उनको गले लगाया और पूछा.
मैं: आंटी आप यहाँ इस वक़्त आपके पति कहा है.. आंटी: मैंने उन्हें नींद की गोली देके सुला दिया क्या करू सुबह तुमने जो चुदाई की थी उससे मैं नहीं भरा अब वापस आयी चुदवाने क लिए चोदो गए न अपनी आंटी को..
मैं: अहह हाँ जरूर क्यों नहीं. अब हम दोनों एक दूसरे को चूमने लग गए और पूरी रात चुदाई करते रहे ५ बजे तक चुदाई की आंटी व् सटिस्फीएड होकर मेरे कमरे से चली गयी. उसके बाद हमे जब व् मौका मिलता हम दोनों चुदाई कर लेते थे!