चुदक्कड़ घोड़ियाँ – 1

दोस्तों 

दोस्तों मेरा नाम बबिता है. मैं 22 साल की हूँ. मैं एक छोटे से गाँव “डबरी” में रहती हूँ जो की हापुड़ के पास है.


Antarvasna मेरे पिता का निधन मेरे बचपन में ही हो गया था. मेरे घर में मेरे और मेरी माँ सुधिया के अलावा गीता दीदी रहती है.

वैसे तो मेरे पापा के तीन और भाई आस पास के गाँव में ही रहते हैं पर डबरी में हम तीनों माँ बेटियाँ ही रहती हैं.

मेरी दीदी गीता के बचपन से ही दोनों पैरों में पोलियो है और वो चल नहीं सकतीं.

दीदी बचपन से लेके आज तक अपने घुटनों पर ही चलतीं आई है.

दीदी ३० साल की हो गयीं है पर अभी तक उनकी शादी नहीं हुई है. वैसे तो जब मेरे पापा का देहांत हुआ तो उस वक़्त तब हमारा परिवार बहुत धनवान हो गया था. मेरे पापा की सैकड़ो एकड़ जमीन थी.

जमीन का सारा कामकाज हमारे दो पुराने पर बहुत ही वफ़ादार नौकर सँभालते थे. उनका नाम हीरा और मुन्ना था.

हीरा काका और मुन्ना काका दोनों ही इस वक़्त 50 के ऊपर हो चुके थे.

पर उन दोनों की लुगाई अभी भी जवान सी लगती थीं. हीरा काका की लुगाई रम्भा थी और मुन्ना काका की लुगाई सज्जो थी. हीरा काका के दो लड़के थे भोंदू और नंदू. भोंदू २५ साल का था और नंदू 22 साल का.

दोनों ही मस्त जवान थे. पर मुन्ना काका और सज्जो काकी का कोई लड़का नहीं था बस दो लड़कियां थी.

बड़ी का नाम रेखा और छोटी का नाम मुन्नी था. रेखा 24 की थी और मुन्नी 21 की. कुल मिलाकर हमारी बड़ी हवेली में नोकरों को मिलाकर 11 लोग रहते थे.

3 तो हम मालिक लोग. मेरी माँ सुधिया, मेरी दीदी गीता और मैं बबिता. बाकी हीरा काका, रम्भा और उनके लड़के भोंदू और नंदू. और मुन्ना काका, सज्जो काकी, रेखा और मुन्नी.

पैसा बहुत था हमारे पास और खेती भी हीरा काका और मुन्ना काका बहुत दिल लगा के करते थे.


दरसल हीरा और मुन्ना काका सिर्फ हमारे खेत ही नहीं सँभालते थे बल्कि हम तीनों माँ बेटियों की चूतें भी मारते थे.

मेरी मम्मी शुरू से ही बड़ी चुदक्कड़ थीं. वो बताती हैं कि विधवा होने के 6 महीने बाद ही उन्होंने एक दिन खेत पर जाकर हीरा काका से उन्हें चोदने की गुज़ारिश की.

हीरा काका अपनी सुधिया मालकिन की दिल से सेवा करते थे. उन्होंने मम्मी की हालत को समझा और वहीँ खेत पर मम्मी को बिलकुल नंगा करके बड़े ही जोशीले ढंग से खूब कूद कूद कर चोदा.

मम्मी बताती है कि हीरा काका उस दिन जैसे पागल ही हो गए थे. दरसल मेरी मम्मी डबरी की सबसे कामुक और सुन्दर औरतों में गिनी जातीं है.

आज भी गाँव के सभी जवान और अधेड़ उमर के मर्द उनको चोदने की हसरत वाली निगाह से देखतें हैं. इसलिए जब इतनी कामुक औरत ने हीरा काका से उन्हें चोदने के लिए कहा तो वो इक्दुम तैयार हो गए और मम्मी की गदराई जवानी को हुमच हुमच कर घंटे भर तक चोदा.

ये करीब 12 साल पहले हुआ. मम्मी उस समय ३६ साल की मस्त गदराई और बेहद गरम औरत थीं. मैं उस वक़्त सिर्फ १० साल की थी और गीता दीदी १८ साल की.

तब से लेकर आज तक मम्मी का चुदक्कड़पन बढ़ता ही रहा. हीरा काका का लंड जी भरकर लेने के बाद मम्मी ने मुन्ना काका का लंड लिया. मुन्ना काका ने भी अपनी सुधिया मालकिन को चोदने का मोका हाथ से जाने नहीं दिया.

मुन्ना काका बड़ा ही हरामी किस्म का इंसान है. उसने मम्मी के पहले भी बहुत सारी औरतों को चोदा है. मुन्ना को औरतों की गांड चोदने का बहुत शौक़ है.

वो जिस भी औरत को चोदता है उसकी गांड जरूर मारता है. उसका लंड है भी बड़ा मस्त और दमदार. और जब उसने मम्मी को चोदा तो उनकी दिलकश नंगी गांड का दीवाना हो गया.

वो मम्मी की गांड चोदने के लिए मरा जा रहा था. मम्मी की गांड है भी बहुत मस्त. चूतड़ खूब भरे हुए और चौड़े है. उनकी नंगी गांड पीछे और थोड़ा ऊपर से देखने पर बड़ी आकर्षक लगती है.

बिलकुल एक बड़े से दिल के आकार की. ऊपर से चूतड़ नरम होने के साथ साथ बड़े ही मांसल और गुदाज़ हैं.
ये देखिये ………. कितनी कातिलाना लगती है उनकी गांड…….उफफ्फ्फ्फ़…निकल गया ना मुंह से.


ये बात सच ही है कि 30 की उम्र के बाद औरतों के चूतड़ कई गुना आकर्षक हो जातें हैं. गीता दीदी भी अब 30 की हो गयीं हैं और उनके चूतड़ भी खूब फेल कर चौड़े और आकर्षक दिखने लगें हैं.

मम्मी मेरी चुदक्कड़ जरूर थीं पर तब तक उन्होंने कभी भी गांड नहीं मरवाई थी. पर मुन्ना का आकर्षक और सुडोल मांसल शरीर मम्मी को बड़ा उत्तेजक लगता था और वो काका से खूब चुदवाने लगीं थीं.

पर मुन्ना अपनी औकात जानता था. वो एक नोकर था और मम्मी मालकिन ! पर वो औरत को राज़ी करना जानता था और आख़िर लगभग 6 महीने मम्मी की गांड को चोदने का सपना दिल में दबाये बैठे मुन्ना

काका ने मम्मी को गांड चुदवाने के लिए राज़ी कर ही लिया. मुन्ना के किस्से मम्मी ने मुझे तब सुनाये जब 4 साल पहले मैं एक दिन खेत पर हीरा काका से चुदवाकर घर आई तो ऊपर हॉल में खुलमखुल्ला चुदाई चल रही थी.

वो चुदाई इतनी बेशर्मी के साथ हो रही थी कि उसे देखने के बाद हमारे घर का माहोल बहुत खुल गया.वो सामूहिक चुदाई कुछ इस तरह थी:


मुन्ना काका हीरा काका के बेटों भोंदू और नंदू के साथ मिलकर मेरी मम्मी, गीता दीदी और हीरा की लुगाई रम्भा को एक साथ चोद रहे थे.

हालाँकि मैंने पहले कई बार मम्मी को मुन्ना काका से चुदवाते हुए देखा है पर अक्सर मम्मी के रूम में खिड़की का पर्दा हटाकर या दरवाज़े की झिर्री से. मैं उस दिन तक सिर्फ़ तीन बार चुदी थी और वो भी सिर्फ हीरा काका से.

मेरा मन तब से बहुत चुदवाने का करने लगा था जब से मैंने गीता दीदी को उनके कमरे में भोंदू और नंदू से चुद्वाते हुए देखा था. मादरचोद दोनों के दोनों बिलकुल नंगे थे कमरे में और गीता दीदी को भी बिलकुल नंगा कर रखा था.

बड़े मस्त लग रहे थे दोनों के नंगे बदन. और लंड तो इतने शानदार लग रहे थे कि मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे. पुरे कमरे में उछल कदमी करते हुए मेरी लंगड़ी दीदी को चोद रहे थे.

दोनों बहुत मस्ती में थे. दीदी को एक प्लास्टिक के स्टूल पे तकिया रख कर उसपर बिलकुल नंगा करके घोड़ी बना रखा था और दोनों के दोनों अपने मोटे मोटे लंड से दीदी को बारी बारी से चोद रहे थे.

तब से भोंदू और नंदू मेरे दिल में बस गए थे और मैं भी अब इस आनंद को लेना चाहती थी जिसका लुफ्त मेरी मम्मी और दीदी ले रहीं थीं. पर भोंदू और नंदू से पहले मुझे उनके बाप हीरा काका ने चोद दिया खेत पर.

ये कहानी भी मैं आपको सुनाउंगी पर बाद में.


खेर उस दिन जब मैं हीरा काका से चुदवाकर घर पहुंची तो अपने घर के ऊपर के हॉल में होती इस सामूहिक चुदाई को देखकर दंग रह गयी.

मैंने देखा हॉल के बीचो बीच पड़ी खाने की टेबल के इर्द गिर्द लगी कुर्सियों पे चुदाई चल रही थी.

तीनों स्त्रियाँ बिलकुल नंगी हालत में एक एक कुर्सी पर घोड़ी बनीं हुई थीं. दरवाज़े से जो कुर्सी सबसे साफ़ दिख रही थी उस पर गीता दीदी अपने घुटने रख कर घोड़ी बनी हुई थी.

दीदी बिलकुल नंगी थीं. दीदी मेज के पाए के पास कोने वाली कुर्सी पर झुकी हुई थी और दीदी ने अपने नंगे चूतड़ पुरे हवा में उठा रखे थे और सर नीचे करके मेज का पाया पकड़ रखा था.

पाया पकड़ना शायद जरुरी भी था क्यूंकि दीदी के चूतडों के पीछे नंदू बिलकुल नंगा खड़ा होके दीदी की चूत में दनादन अपने मोटे लंड को अंदर बाहर कर रहा था.

दीदी की अगली वाली कुर्सी पे मम्मी बिलकुल नंगी होकर घोड़ी बनी थीं. उन्होंने अपनी कुहनियाँ मेज पर रखी थी और अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले अपनी कुहनियों पर टिका रखा था.

मम्मी को मुन्ना काका उनकी गांड के पीछे खड़े होकर मस्ती से चोद रहे थे. वो चोदते वक़्त अक्सर मम्मी के चौड़े नंगे चूतडों पर थप्पड़ मारते थे जिससे ऐसा लगता था जैसे कोई किसी के जोर से चांटे लगा रहा हो.

बस फर्क इतना था कि ये थप्पड़ मम्मी को दर्द देने से ज्यादा उनके नंगे, ज़ोरों से चुदते हुए बदन में झुरजुरी पैदा कर देते थे. चूतड़ पे थप्पड़ पड़ते ही मम्मी ज़ोर से एक आनंद भरी सिसकी मारती थीं

और उनके चूतड़ काका के लंड पे और ज़ोरों से थिरकने लगते थे. मैंने पहले भी मुन्ना काका को अक्सर मम्मी को चोदते वक़्त इस तरह उनके नंगे मादक चूतडों पे थप्पड़ मारते हुए देखा है.

मम्मी के पीछे तीसरी कुर्सी पर एक और औरत चुद रही थी. उसको भोंदू चोद रहा था.

मैं समझ नहीं पा रही थी कि ये कौन है? मुझे उसके कंधे से ऊपर का कुछ नहीं दिख रहा था.

मैं दरवाज़े से छुप के देख रही थी और उस औरत का चेहरा मेरी मम्मी के पीछे छुपा हुआ था.

पर मैं इतना जरूर कह सकती थी कि वो औरत मम्मी के टक्कर की थी.

आगे की कहानी कल इसी वेबसाइट पर पढ़े

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