चूत की आग पार्ट-1 Antarvasna

लेखक- सीमा सिंह

नमस्कार दोस्तो, मैं आपकी सीमा सिंह, आप मेरे नियमित पाठक को सामने एक नई कहानी लेकर आई हूं मैं चाहती हूं जितना प्यार आपने मेरी और कहानियों को दिया उतना ही प्यार इस कहानी को मिले।

मैं आपको बता देना चाहती हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं, जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है, अगर होता भी है, तो यह मात्र संयोग ही होगा।

इस कहानी में कोई मुख्य किरदार नहीं हैं, पर ये कहानी मुख्य एक परिवार के सदस्यों पर ज्यादा निर्भर करती हैं, और इसके अलावा उसके आस पास के किरदार भी कुछ न कुछ करते हैं।

ये कहानी है मुम्बई में रहने वाली मां बेटी की है, मां का नाम है सीमा , उम्र 40 साल, भरा हुआ शरीर, गोरा गोरा बदन था, वो दिखने में बहुत आकर्षक थी।

और उसकी बेटी कुमकुम, 12th पास कर चुकी थी, उम्र 18, वो कुछ ही महीनों में 19 की होने वाली थी, छातियों के उभार अभी उभरने शुरू ही हुए थे, उसका शरीर बहुत ही छरेरा था, पर वो बहुत सुंदर थी।

कुमकुम जैसी ही आज बाजार से घर के लिए सोपिंग करकर आयी, तो उसकी मां सीमा ने उसे बुलाया और उसे अपने पास बिठा लिया।

वैसे तो ऐसे मिलकर बैठना मां बेटी का रोज का काम था पर आज शायद कुछ ख़ास बात थी, क्योंकि अपनी मां सीमा को कुमकुम ने इतना परेशान कभी नहीं देखा था।

अपने पिता को तीन साल पहले एक एक्सीडेंट में खो देने के बाद उसने अपनी मां को कभी खुश नहीं देखा था, वो हमेशा गुम सुम सी रहती थी।

कुमकुम के पापा के मरने के बाद उसके बॉस ने कुमकुम के पापा के बदले उन्हें उसी कम्पनी में ऑफिस हेल्पर कि जॉब दे दी थी जिसकी वजह से उनके घर का खर्च जैसे तैसे चल रहा था।

सीमा घर का भी सारा काम करती और उसकी देख भाल करती, खाना खाती और सो जाती, बस यही दिनचर्या थी उसकी मां कि वो भी अपनी मां की हालत देख सकती थी।

पर आज फिर से अपनी मां को कुछ परेशान देखकर कुमकुम के मन में डर सा बैठ गया कि कही कोई प्रॉब्लम तो नहीं हो गई है, कुमकुम बोली क्या हुआ मॉम ?

मुझे क्यों बुलाया हैं, सीमा ने कुमकुम को बताया बेटा में चाहती हूं तू इस शहर के टॉप कॉलेज में पड़े इसलिए मैंने कंपनी से लॉन ले लिया है, जिससे तुझे कोई परेशानी नहीं होगी।

कुमकुम अपनी मां के गले लग कर रोने लगी, क्योंकि वो जानती थी लॉन को पटाने में उसकी मां को बहुत मेहनत करनी होगी, फिर कुछ देर बात करने के बाद वो दोनों अपने अपने कमरे में चली गई।

कुमकुम शुरू से ही पढ़ाई मैं ज्यादा ध्यान देती थी, हालांकि उसकी दोस्ती लड़कों से बहुत कम थी फिर भी वो सभी से बोल लेती थी।

बहुत से लड़कों ने उसको प्रपोज़ किया पर वो सबको प्यार से मना कर देती थी, जब उसका कॉलेज में एड्मिशन हुआ उस साल से उसकी मासूमियत का वक़्त पूरा होने लगा।

उसकी दोस्ती एक लड़की से हुई जिसका नाम शबाना है, शुरू में वो भी उसकी तरह शरीफ थी पर जब तक वो उसे समझ पाती, कुमकुम सेक्स के समुंदर में उतर चुकी थी।

और कुमकुम को बिगाड़ने का पूरा श्रेय उसकी सहेली शबाना को जाता है, शबाना एक अमीर परिवार की बेटी थी, पापा, मम्मी, बड़ा भाई ये ही उसका परिवार है।

शबाना के पापा एक बिशनेश मन थे, उनका बिसनेश कई शहरों में चलता था, जिसकी वजह से वो ज्यादातर घर से बाहर ही रहते थे, और शबाना की मां अपने पति के साथ रहती है और बिसनेश में उसका साथ देती हैं।

शबाना कभी किसी के लिए कोई भी बुरा ख्याल मन में नहीं लाती थी, पर जब जवान हुई, तो लोगों की नजर कपड़ों के अन्दर तक चुभने लगीं।

क्योंकि देखने वाले आगे से गरदन के नीचे या पीछे टांगों के ऊपर घूरते तो उनकी कामुक नजरों को भांप कर शबाना के अन्दर एक मीठा दर्द उठने लगा था।

बारहवीं पास करने तक कुछ नहीं हुआ था, पर तब तक उसकी हालत बिन पानी की मछली जैसी हो गई थी, यौवन उस पर अधिक ही मेहरबान था, बगैर ब्रा के भी उसके स्तनों का उभार तना का तना ही रहता था।

शबाना का मासूम सा खूबसूरत चेहरा, काले घने बाल, गोरी और चिकनी त्वचा, मिर्गनेनी जैसी आंखे, ऊपर से आगे पीछे का उभरा हुआ कामुक जिश्म, उसे देख कर न जाने कितनों की आह निकल जाती थी।

रात को जब कभी शबाना की नींद खुल जाती थी, तब एक अजीब सी चुभन उसे महसूस होती थी, और अपने आप उसका हाथ सीने से लग जाता था।

और आंखे बंद होने के बावजूद भी फिल्मों के सेक्सी सीन उसे दिखाई देते थे, उन कामुक दृश्यों को याद करके उसकी सिसकारी निकल जाती थी।

उस समय उसे अपनी छाती नोंचने का जी करता था, जब ऐसा होता था, तब पूरी  रात उसे नींद नहीं आती थी, उसका उसने एक हल निकाला था, तब वो कल्पनाओं की दुनिया में चली जाती थी।

चूंकि वो अकेली सोती थी, तो वो अक्सर ये ही करती थी, उसकी कल्पनाओं में कोई खास लड़का जो उसे पसंद होता था, उसकी कल्पना करती थी।

कि वो उसके पास आता है और उसे हर तरह प्यार करता है, उसे चूमता है, चाटता है, उसके बूब्स को दबाता है, निप्पलों को नोचता है, ये सब सोचते सोचते शबाना का एक हाथ कब टी शर्ट के अन्दर चला जाता था, उसे पता भी नहीं लगता था।

उंगलियों से अपने कोमल निपल्स को हल्के से मसलना शुरू कर देती थी, जिससे उसके शरीर में एक कप कपी सी दौड़ जाया करती थी।

फिर वो अपनी पांचों उंगलियों से अपने गुलाबी निपल्स वाले भाग को धीरे धीरे दबाती थी, फिर जब बायां हाथ पूरी गोलाई पर कब्ज़ा कर लेता था।

तो दायां हाथ नीचे की ओर लोअर के ऊपर तक पहुंचकर हल्के से सहलाने लगता था, ये सब शबाना के पूरे बदन में रोंगटे खड़े कर देता था।

लोअर के ऊपर से ही उसके दोनों टांगों के बीच की गर्मी महसूस हो जाती थी, जैसे अन्दर आग धधक रही हो, फिर ऊपर ऊपर से उंगलियां उस तप्त भट्टी का मुआयना करती थी।

और इस आग में भट्टी में घी स्वतः ही डलता ही रहता था, जिससे पूरी पैन्टी चिकनी होकर बाहर के लोअर का भी रंग बदलने लगती थी ।

मुंह से सिसकारियां निकलते निकलते दोनों टांगें ऊपर नीचे होने लगती थी, अब दोनों बूब्स की चमड़ी मानो जलने सी लगती थी, अन्दर से एक चाह उठती थी, कि कुछ चाहिए।

बस इसी तरह शबाना की उमंगें दरिया की लहरों की तरह जवान होती और दम तोड़ देती थी, और वो झड़ जाया करती थी, शबाना अब आए दिन ये सब करने लगी।

एक दिन वो इस खेल में एक कदम और आगे बड़ गई, दरअसल हुआ ये था कि कुमकुम अपनी मां के साथ थी और अपने कमरे में एक छोटा बैग पैक कर रही थी।

तो सीमा बोली ये बैग क्यों पैक कर रही हो ?, कुमकुम ने जवाब दिया मां मुझे कॉलेज का एक प्रोजेक्ट बनाना है, इसलिए कल कॉलेज से में शबाना के साथ उसके घर चली जाऊंगी।

और परसो सन्डे है, में उसके साथ ही रहूंगी और सोमवार को उसकी के साथ मैं कॉलेज में रहूंगी और फिर घर आ जाऊंगी, कुमकुम अक्सर शबाना के साथ उसके घर पर रुक जाया करती थी।

इसे सीमा को और शबाना के माता पिता को कोई परेशानी नहीं थी, कुमकुम ने ऐसा ही किया, शबाना के कमरे में प्रोजेक्ट पर काम करके खाना खाने के बाद वो दोनों शबाना के बैड पर सौ रही थी।

उसी दिन सुबह शबाना ने अपने फोन पर ब्लू फिल्म की एक क्लिप देखी थी, जिससे वो बहुत उत्तेजित थी, पर पूरा दिन वो कुमकुम के साथ थी तो उसने अपने आप पर कंट्रोल कर रखा था।

पर रात को उसे सब याद आ रहा था, उसने लोअर और टॉप पहना था, वो रात को ब्रा पहनना पसंद नहीं करती थी, इसलिए वो कम ही पहनती थी।

शबाना अपने बूब्स की मसाज करते करते अपनी पुसी को कपड़ों के ऊपर से सहला रही थी, फिर उसने अपना हाथ अपने लोअर के अन्दर कर लिया।

और अपने होंठ चबाते हुए बूब्स को दबा दिया, उसके मुंह से एक मीठे दर्द की एक सिसकारी निकल गई, तभी कुमकुम थोड़ा घूमी, तो शबाना ने अपना मन काबू में कर लिया।

उसकी पूसी जिसको चूत बोला जाता है, उस पर बहुत कम और छोटे छोटे बाल थे, वो उसकी खड़ी लकीर पर अपनी उंगली फ़िरा रही थी, जिससे उसमें मजा आ रहा था।

शबाना ने अपनी बड़ी वाली उंगली मुंह में डाल कर उसको गीला किया और अपनी चूत के ऊपर वाले हिस्से में स्पर्श करवा दिया, और उंगली से वो अपने सूसू के पॉइंट की गोल गोल करके मालिश कर रही थी।

उसे बड़ा मजा आ रहा था, उसकी तो कामुक सिसकारियां निकल रही थी, उंगली चूत की गहराई नापने को आतुर हो रही थी, पर वो अपनी उंगली को चूत की झिल्ली से पहली ही रोके हुए थी।

उसे अपनी चूत में बहुत अधिक गीलापन महसूस हो रहा था, उसके मस्तिष्क में अद्भुत रोमांच मचल रहा था, वो अपने दूसरे हाथ से अपनी छाती, गला और कन्धों को सहला रही थी।

तभी कुमकुम फिर से घूमी तो शबाना डर गई, उसे लगा कि शायद वो जग रही थी, वो उसके बाईं ओर सो रही थी, वो अपना दायां खुला हाथ उसके ओर करके वापस सो गई।

अब शबाना के अन्दर तो आग लगी पड़ी थी और कुमकुम का डर लग रहा था, कुमकुम उसकी बेस्ट फ्रेंड थी, कुमकुम शबाना से भी अधिक खूबसूरत लगती थी।

और शबाना उसके जैसी बनना चाहती थी, उसकी आंखें उसे बहुत ही ज्यादा पसंद थी, कुमकुम अपने सारे सीक्रेट शबाना से साझा करती थी।

उन दोनों की अच्छी बनती थी, उन दोनों का कोई ब्वॉयफ्रेंड भी नहीं था, उसे कुमकुम बहुत पसंद थी, इसलिए वो उसकी ओर मुंह करके सो गई, पर अब उसे कुछ भी करने में डर लग रहा था।

वो थोड़ा कुमकुम से सट गई और सोने का मुड़ बना लिया, वो पेट के बल उल्टी होकर सोने लगी और अपना दायां हाथ कुमकुम पर रख दिया, तभी शबाना की एक बूब्स  कुमकुम के हाथ पर आ गया।

शबाना ऐसे सोई कि उसकी नाक कुमकुम की गरदन के पास आए और वो जोर जोर से सांस लेने लगी, कुमकुम भी अब तक जाग चुकी थी और शबाना की हरकत से।

उसके अंदर की आग भी बड़ चुकी थी, और वो अपने आप पर काबू नहीं रख पा रही थी, और अपने आप को बेहक्लने दे रही थी।

वही दूसरी ओर शबाना काफी उत्तेजित थी, वो अपनी कमर को नीचे दबा रही थी, वही जो हाथ कुमकुम पर था, उसको थोड़ा ऊपर लिया, अब वो हाथ कुमकुम के बूब्स के ठीक नीचे पेट पर था।

शबाना ने अपने एक बूब्स को कुमकुम के हाथ पर सैट करके दबा रही थी और लम्बी सांसें ले रही थी, उसकी सांसें कुमकुम के गरदन पर लग रही थी पर वो सोने का नाटक कर रही थी।

शबाना को गुस्सा आ रहा था, क्योंकि उसे लगा कुमकुम घोड़े बेच कर सो रही थी, तो शबाना ने अपना पैर भी कुमकुम पर रख दिया और अपना घुटना उसकी कमर के नीचे सटा दिया।

आप मेरे साथ बने रहिए और इस चूत की आग कहानी पर किसी भी प्रकार की राय देने के लिए आप मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.

seema.singh2003@proton.me

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