लेखक- सीमा सिंह
दोनों को ही असीम आनन्द प्राप्त हो रहा था, वे सांस लेने के लिये रुक जाते फिर चुम्बन करने लगते, अब वसीम और शबाना के हाथ भी एक दूसरे के बदन को नापने लगे थे।
और एक दूसरे की पीठ और छाती पर घूम रहे थे, शबाना की चूड़ियों की आवाज संगीत के साथ मिलकर नया संगीत पैदा कर रही थी।
तब शबाना ने महसूस किया कि बहुत समय से उसके नितम्बों में कुछ चुभ रहा है, वसीम का लंड एकदम सख्त हो गया था, शबाना लंड के अहसास से सिहर गई।
साथ ही उसने अपनी चूत में गीलापन महसूस किया, उसने कुमकुम के साथ कई बार लस्बियां सेक्स किया था, पर कभी किसी मर्द का अहसास नहीं किया था।
वसीम ने सहलाते हुए शबाना के कुछ जेवर उतार कर रख दिये, अब केवल पैरौं में पायल, गले में हार और कुछ छोटे जेवर बचे थे,
गले में हाथ डालकर उसका रुपट्टा उसके गले से हटा दिया और फिर शबाना को बैड पर लिटाकर खुद भी लेट गया, शबाना पर कामुकता हावी हो रही थी।
और वो अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही थी, वो नहीं चाहती थी की वसीम को उसके दिल का हल पता चले, पर वो इस काम को धीरे धीरे करना चाहती थी।
इसकी प्रतिक्रिया में शबाना ने भी वसीम का कुर्ता निकालकर एक तरफ रख दिया, अब शबाना करवट लेकर लेती थी उसके बदन पर लहंग और बैकलेस ब्लाउज था।
उसके कोमल चूतड़ लहंगे से साफ झलक रहे थे और स्तन भी अपने आकार को दर्शा रहे थे, वसीम शबाना को चूमते हुए उसके अंगों को सहला रहा था।
और शबाना भी लंबी सांसें छोड़ते हुए वसीम की सुडौल चौड़ी छाती और पीठ सहला रही थी, कभी कभी उसका हाथ वसीम के तने हुए कठोर लंड से टकरा जाता तो वह तुरंत हाथ खींच लेती।
वसीम ने शबाना के ब्लाउज की डोरी खोल दिए और ब्लाउज को निकालकर उसने एक तरफ रख दिया, उसने अपने दोनों हाथ शर्म के मारे अपने वक्ष स्थल पर रख दिये।
और अपने स्तनों को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी, फिर दूसरे ही पल उसने वसीम का नाड़ा खोल दिया, ये देखकर उसने भी पायजामा निकालने में शबाना की मदद की।
अब वसीम उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से हल्के हल्के दबा रहा था, और शबाना की नजर उसके तंबू बने लंड पर रुकी जो v आकर की अंदरवियर के पीछे था।
शबाना की आखें उस जगह जैसे थम गई, वसीम ने शबाना का मन पढ़ लिया, उसने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया, एक बार तो शबाना ने हाथ खींच लिया।
और न समझ होने का नाटक करते हुए फिर से खुद ही अंडरवियर के ऊपर से वसीम का लंड पकड़कर सहलाने लगी, वसीम कभी शबाना के स्तन दबा रहा था।
शबाना को अहसास हो रहा था कि वसीम का लंड बहुत ही मोटा और लम्बा है, वसीम उसकी गर्दन को चूमते हुए नीचे उसके पेठ पर जा पहुंचा।
वसीम ने अपना मुंह नाभि के ऊपर रख दी और नाभि में जीभ घुमाने लगा, जब नाभि में जीभ लगातार घूमती तो शबाना गुदगदी से छटपटा रही थी।
वसीम ने शबाना के लहंगे का नाड़ा खोल दिया, और उसे निकाल कर उसके घुटनों तक कर दिया, अब वसीम की नजर नंगी जांघों और पैंटी पर पड़ी तो वसीम खुद को रोक नहीं सका।
वह अपनी जीभ को जांघों पर घुमाने लगा, शबाना ने भी वसीम की बनियान उतार दी और उसके निप्पल पर उंगलियां घुमाने लगी।
वसीम उसकी जांघों को चूमते हुए जैसे ही अपने मुंह को उसकी चूत के पास लता इससे पहले शबाना ने झट से अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख दिया।
तो वसीम ने उसकी ओर देखा तो शबाना ने उसे अभी रुकने को कहा क्योंकि वो अभी वसीम के साथ और खेलना चाहती थी, वसीम ने अभी अपना मुंह हटा लिया।
और शबाना का लहंगा पूरा निकल दिया और उसे घोड़ी बना दिया, अब वसीम के सामने शबाना के गोल गोल कोमल चूतड़ थे, और उस दोनों नितम्बों के बीच में एक लाल पतली से डोरी थी।
वो डोरी शबाना के गांड़ के छेद को सही से छुपा भी नहीं पा रही थी, और वो अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही थी, वसीम अपने दोनों हाथों को शबाना के दोनों चूतड़ों पर फेरा रहा था।
फिर वो उसके दोनों नितम्बों को चूमने और चाटने लगा, शबाना के लिए अपने चूतड़ों पर किस का अनुभव पहला था, जिससे उसके अंदर की आग और भी बड़ रही थी।
काफी देर चूतड़ों से खेलने के बाद वसीम ने जल्दी से अपने हाथ से शबाना की पैंटी की डोरी साइड में की और उसके गांड़ के छेद पर एक किस किया और डोरी को वापिस वही कर दिया।
क्योंकि उसकी सोच ये थी की शबाना उसे ऐसा नहीं करने देती, पर शबाना को वसीम की ये अदा बहुत अच्छी लगी, पर वो उसे बताना नहीं चाहती थी।
वो घूमकर उसे गुस्से से देखने लगी, वसीम उसे मासूम बनकर सॉरी बोलने लगा शबाना ने वसीम को अपनी ओर खींचा और उसे किस करने लगी, उसके चुम्बन बहुत लंबे थे।
जब उन दोनों की सांसे फूल गई तब वो अलग हुए, फिर वसीम ने शबाना की लाल रंग की ब्रा के ऊपर से उसके उरोजों को निहारा वो बहुत सुन्दर लग रहे थे।
मानो कह रहे हों कि हमें भी आजाद कर दो, वसीम ने पीछे हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को एक तरफ रख दिया।
शबाना ने अब शर्म का दामन छोड़ दिया था, वह भी अब केवल आनन्द लेना चाहती थी, उसके मध्यम आकार के सख्त बूब्स उनके ऊपर छोटे छोटे गुलाबी निपल्स एकदम सख्त हो रहे थे।
वसीम ने उनके ऊपर हाथ फेरा और हाथ में पूरा लेने की कोशिश की, पर शबाना के उरोज वसीम की मुट्ठी में पूरे समा गए थे उसके बूब्स अभी इतने बड़े नहीं थे।
वसीम ने जब ऊरेज दबाए तो उसकी चूत ने इस हरकत से यौवन रस की कुछ छोटी बूंदें झलका दी, और शबाना के मुंह से एक आह हहह निकल गयी थी।
वसीम ने शबाना के निपल्स पर जीभ लगा दी और धीरे धीरे चूसना शुरू कर दिया, शबाना की आंखें मदहोशी में बंद होने लगी और मुंह से सीसीई आह हम्म की आवाजें निकलने लगी।
उत्तेजना से उसका चेहरा लाल हो गया और सांसे गर्म होने लगे, दिसम्बर की सर्दी में भी उन दोनों को गर्मी लगने लगी, वसीम एक निपल्स को चूस रहा था तो दूसरे को दबा रहा था।
फिर दूसरे को चूसता पहले को दबाता, और साथ ही साथ शबाना और वसीम के हाथ एक दूसरे के बदन पर घूम रहे थे और एक दूसरे को सहला रहे थे।
वसीम का लंड अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आना चाहता था, शबाना को लंड की ठोकर कभी कमर कभी पेट कभी जांघ तो कभी चूत और गुदा द्वार पर महसूस हो रही थी।
वसीम काफी देर से शबाना के निपल्स चूसे जा रहा था तो उसने उसका मुंह से निपल्स निकल लिए और उसे थोड़ा दूर हटा दिया।
और वसीम के नीचे की ओर आ गई और शबाना ने उसकी अंडरवियर को खींचकर उतार दिया, जब उसने वसीम का लंड देखा तो वह सहम गई।
वसीम का कुंवारा लंड काफी तगड़ा था, लंड की लम्बाई 9″ के करीब थी और 4″ मूसल जैसा मोटा था, शबाना ने किसी मर्द का लंड आखों के सामने पहली बार देखा था।
वसीम ने शबाना के मन को समझते हुए उसका हाथ पकड़कर लंड पर रख दिया, शबाना कुछ सेकंड संकोचवश हाथ रखे रही, फिर लंड को सहलाने लगी।
लंड प्रीकम से कुछ आगे भीगा हुआ था और उसके लंड का सुपाड़ा कुछ ज्यादा ही कठोर हो चुका था, जिसे देखकर शबाना सोचने लगी की उसके सौहर के लंड का साइज किसी ब्लैक पोर्नस्टार से कम नहीं हैं।
और ये लंड उसकी कुंवारी चूत में कैसे करेगा, वैसे तो कुमकुम और उसने चूत चटाई की थी, और कुमकुम के तुलना में उसका छेद कुछ बड़ा था।
फिर भी वसीम के लंड को लेने के लिए बहुत ही छोटा था, इस बीच शबाना ने हाथ तेज चलाया तो वसीम की आह निकल गयी।
इससे वो समझ गयी वसीम ने भी कभी संभोग नहीं किया होगा, शबाना को खुद पर गर्व महसूस हुआ कि उसका सौहर भी उसकी तरह कुंवारा है।
शबाना बोली वसीम ये आपका लंड बहुत ही बड़ा है, ये मेरे अंदर कैसे जा पाएगा, और चला भी गया तो मुझे बहुत दर्द होगा और फिर मैं आपको खुश भी नहीं कर पाऊंगी।
वसीम बोला इसका एक तरीका है, पर शायद तुम इसे नहीं करोगी, ये सुनकर शबाना का दिल हर्ट हो गया, तो वो जोश में आकर बोली मैं आपकी कसम खाती हुं।
आज की रात आपको खुश करने के लिए में किसी भी हद तक चली जाऊंगी, ये सुनकर वसीम हूटा और एक ब्रांडी की बोतल ले आया और एक पेग ब्रांडी उसे दे दी।
ब्रांडी देखकर शबाना घबरा गई और वसीम की ओर देखने लगी, वही वसीम अपनी आंखों से बोल रहा था, कि मजा लेना है तो पीजाओ।
शबाना कसम खा चुकी थी, तो पीछे हटने का सवाल ही नहीं था, उसने ब्रांडी पी ली, पर उसके गले में जलन हो रही थी, तभी वसीम ने एक लार्ज पेग और बना दिया।
शबाना उसे भी पी गई, उसके बार शबाना ने उसके लंड को पकड़ लिया और लंड चूमने और चूसने लगी, उसे लंड चूसते देख वसीम समझ गया शबाना के लिए ये सब पहली बार है।
शबाना लंड को ज्यादा अंदर नहीं ले जा पा रही थी, कुछ देर लंड चुसने के बाद उसने लंड हटा दिया, फिर उसने शबाना की पैंटी निकाल दी।
शबाना का एक हाथ अनायास ही अपनी चूत को ढकने के लिए बढ़ गया फिर खुद ही अपना हाथ हटा लिया, वसीम ने जब शबाना की चूत को देखा तो देखता ही रह गया।
बिल्कुल चिकनी फूली हुई, गुलाबी होंठ एक दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए, बीच में थोड़ा सा खुला हुआ छेद और एक लकीरनुमा दरार रंग बिरंगी रोशनी में किसी फूल की तरह लग रही थी।
वसीम ने जब उसकी चूत पर हाथ फेरा तो शबाना के पूरे शरीर में सिरहन दौड़ गई,
शबाना के रोए खड़े हो गये और हाथ लंड को सहलाने लगा।
वसीम का हाथ शबाना के योनिरस से भीग गया, उसकी चूत काफी समय से खुशी के आंसू बहा रही थी जिससे उसकी जांघें कुछ भीग गई थी।
वसीम ने चूत के होंठों को खोलकर देखा तो बहुत छोटा सा एक छिद्र दिखाई दिया जैसे किसी ने सुटर की सूई से छेद किया हो, उसे नीचे एक छेद था।
जो ऊपर वाले छेद से बड़ा था, उसे देखकर वह समझ गया कि शबाना बिल्कुल कुंवारी है, वसीम मन ही मन बहुत खुश हुआ।
वसीम अपनी जीभ से उसको चाटना चाहता था, तो उसने अपनी जबान चूत पर लगा दी और चाटने लगा, उसे बहुत मजा आ रहा था, उसके मुंह में शबाना की चूत का नमकीन स्वाद जा रहा था।
जो उसको बहुत पसंद आ रहा था, शबाना की सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी, उसे बहुत मजा आ रहा था, शबाना वसीम से बोली मुझे भी चूसना है।
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