चूत की आग पार्ट 5 (Antarvasnastory.org)

लेखक- सीमा सिंह

और कुछ हरामी लड़के और मर्द बाथरूम में जाकर कुमकुम का ख्याल अपने मन में लाकर मुठ मार कर वापिस आ जाते थे, आखिर कर शादी पूरी हो गई।

शबाना विदा होकर अपने ससुराल निकल गई, उदर विदा के बाद शबाना का परिवार कुमकुम को लेकर निकल आए, आते आते सुबह हो चुकी थी, घर आते ही शबाना ने अपने कपड़े बदले।

और घर से लाए कपड़े पहन लिए, तभी शबाना की मां बोली कुमकुम तुम यही पर आराम कर लो तो कुमकुम बोली नहीं आंटी में घर जाकर आ राम कर लूंगी।

तो शबाना के पिता बोले निजाम जाओ कुमकुम को छोड़ आओ तो निजाम कुमकुम को उसके घर पर छोड़ आया, वही दूसरी ओर नयी बहू का ससुराल में सभी ने बड़े प्यार से स्वागत किया।

उसके बाद सब ने घर में शादी के बाद के प्रोग्राम किए, अब तक 11 बज गए थे, सब ने खाना खाया और सब आराम करने चले गये।

वसीम और शबाना भी अलग अलग कमरे में आराम करने चले गए, थके होने की वजह से शबाना जल्दी ही नींद की आगोश में चली गई, जब उसकी नींद खुली तब शाम के छः बजे थे।

और ज्यादातर रिश्तेदार चले गये थे, पर वसीम की मां ने वसीम की खाला की बहू कनीजा और एक ताऊ की बहू राबिया को रोक लिया था और साथ में फुफो ही रह गई थी।

वो अगले दिन जाने वाली थी, शबाना जैसे ही सोकर उठी, कनीजा भाभी चाय लेकर आ गई, जब शबाना चाय पी रही थी, तब भाभी ने छेड़ते हुए बोली बहू रानी, नींद पूरी कर ली या नहीं?

क्योंकि आज ठीक से सो नहीं पाओगी, शबाना शर्मा गयी और मुस्कुरा कर रह गई, वसीम अभी भी सो रहा था, शबाना की थकान और सुस्ती जा चुकी थी।

अब वह भी रात के बारे में सोच रही थी, उसके मन में कौतूहल हो रहा था, तभी राबिया भाभी ने उसकी तंद्रा को तोड़ा और बोली चलो चलकर नहा लो।

भाभी उसके कपड़े और सामान देकर बाथरूम तक छोड़कर आयी, उदर वसीम भी जाग गया था, कनीजा भाभी ने उसको चाय दी और बोली आज आपकी कसरत बैडरूम में होगी।

हमने सभी तैयारियां कर लीं हैं, देवरानी तैयार हो रही है, राबिया भाभी ने बैड लगवा दिया है और फूल बाला आता ही होगा सुहाग सेज़ सजाने।

वसीम भाभी से कुछ कह ना सका और कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गया और

भाभी हंसने लगी, शबाना ने ब्रश किया और नहाने के लिए सारे कपड़े उतार कर खुद को शीशे में देखा।

आज भी उसको सिरहन होने लगी, वह पानी से खुद को ठंडा करने की नाकाम कोशिश करने लगी, उसने अपनी चूत पर हाथ घुमाया तो बाल महसूस हुए, उसने शादी से दो दिन पहले वैक्स कराया था।

फिर भी वह आज तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी, उसने अपने बैग से हेयर रिमूवर क्रीम निकाली और झांटों पर लगा ली, आज झांट साफ करने में उसे बहुत अच्छा लग रहा था।

कुछ ही देर में उसने सारे बाल हटा दिए, बाथ टब में बैठकर अपने एक एक अंग को अच्छे से साफ करने लगी, आज शबाना ने हर तरह के महकने बाले इतर का इस्तेमाल किया।

वही दूसरी ओर सर्दी का मौसम था और गर्म पानी शरीर में अलग ही रोमांच पैदा कर रहा था, वसीम ने भी ब्रश किया, दाढ़ी, बगलों और झांटों को साफ किया।

आज वसीम का लंड पूरे तनाव में आ गया था और बाथरूम की छत को देख रहा था, वसीम भी आज खुशबू बाले इतर को पानी में डाला और नहाया।

वसीम ने खास आज के दिन के ही लिए लाया हुआ सफेद कुर्ता पायजामा और नये अंडर गारमेंट पहने और परफ्यूम लगाया और अपनी कार लेकर बाजार चला गया।

शबाना भी नहा चुकी थी, उसका हर अंग आज दमक रहा था, उसने अपने शरीर पर लोशन लगाया और खास आज के लिए खरीदकर लायी सुर्ख लाल रंग की ब्रा पहनी और पैंटी पहनी जो केवल चूत के छेद को ढक रही थी।

और पैंटी के पीछे का हिस्सा एक पतली सी डोरी थी जो उसके गुदा छिद्र को भी नहीं छुपा पा रही थी, शबाना के कोमल नितंबो की दरार में रेखा सी खिंच गयी थी।

इसके बाद उसने एक लाल रंग का जड़ाई डर लहंगा पहना जिसमें उसके कोमल नितंब और सुडौल जांघें और भी आकर्षक लग रहीं थी, लाल बैकलैस चोली पहनकर, लाल रुपटे से अपनी ड्रेस को पूरा किया।

तब तक दोनों भाभियां भी कमरे को और सेज़ को अच्छी तरह सजवाकर आ गयी थी, शबाना को देखकर भाभियां खिलखिलाकर बोली देखो दुल्हन को खेलने की इतनी जल्दी है कि खुद ही तैयार हो रही है।

शबाना शर्माकर बोली न न नहीं वो आप दिखी नहीं इसलिए, भाभियां हंसती हुई बोली अरे हम आपकी सेज़ और कमरा सजवा रही थीं, ऐसा न हो कि कुछ कमी रह जाए।

अब आपका कमरा और बैड तैयार है वो बस आपकी धमाचौकड़ी का इंतजार कर रहा है, तब भाभियां शबाना को गहने पहनाने लगी सारे गहने पहनाने के बाद उसके बाल बनाए और उसका अच्छे से मेकअप किया और शबाना के हर अंग को परफ्यूम किया।

राबिया भाभी एक थाली में हल्का खाना लेकर आ गयी और दुल्हन को खाना खिलाने लगी, पर उसका मन खाने का नहीं था, उसकी आंखें अपने शौहर वसीम को ढूंढ रही थी।

शबाना ने फिर भी इतना खाना खा लिया ताकि रात भर एनर्जी बनी रहे, तब तक कनीजा भाभी केशर बाला दूध बनाकर ले आई, अब दोनों भाभियां दुल्हन को लेकर दूसरे वाली मंजिल पर सुहागरात बाले कमरे में पहुंची।

दूध का ग्लास मेज पर रख कर भाभी ने अपने साथ लाई खुशबूदार अगरबत्तियां जलाकर हर कोने में लगा दी, उन्होंने शबाना को बैड पर बैठा दिया।

और राबिया भाभी बोली यह कमरा ठीक है न, यहां आप दोनों को कोई परेशान करने वाला नहीं है, इस मंजिल पर कोई नहीं आता, कमरे में अटैच टायलेट भी है।

सीढ़ियों वाला दरवाजा बंद कर देना और दिल खोलकर मजे करना, कोई आपकी चीखें भी नहीं सुनेगा, राबिया भाभी बोली मेरी सुहागरात में सबने मेरी आहें सुन ली थी।

आज भी भाभियां मुझे चिढ़ाती हैं, कनिजा भाभी बोली हमें तो भाभियों और दीदियों ने संभोग करते देख लिया था, शबाना उनकी बातों को ध्यान से सुन रही थी और शर्मा रही थी।

तभी नीचे से वैल की आवाज आयी, कनीजा भाभी बोली शायद वसीम आ गया है, हम उन्हें लेकर आती हैं, तुम घूंघट कर लो, वसीम घर के अंदर आ गया था।

उसके हाथ में एक बैग था जिसमें मुंह दिखाई के लिए एक हीरे की रिंग थी उसे वसीम ने अपनी जेब में डाल लिया, बैग में कुछ गुलाब के फूल, गज़रा डार्क चॉकलेट, कुछ पान और रसगुल्ले और कुछ छोटी छोटी चीजें थी।

राबिया भाभी ने बैग लेते हुए बोली क्या बात है देवरजी, आप तो जंग जैसी तैयारी करके आये हो, कनीजा भाभी बोली ये जंग नहीं तो क्या है ?, दुल्हन के मैदान में देवर जी के योद्धा को रातभर लड़ना है।

वसीम शर्मा गया, राबिया भाभी बोली खाना लगा दूं देवरजी ?, वसीम बोला नहीं भाभी, मैं दोस्तों के साथ खाकर आया हूं , कनीजा भाभी ने सारा सामान एक ट्रे में लगाया और राबिया ने एक टोकरी में कुछ फल रखे जैसे स्ट्राबेरी, सेब, केले और वसीम को लेकर सुहागरात के रूम में पहुंची।

सारा सामान टेबल पर रखकर और दोनों को शुभकामनाएं देकर नीचे चली गई, वसीम उनके पीछे वापस आया और सीढ़ियों का दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया।

वापस अपने कमरे में आया और दरवाजे को लॉक करके एक नजर कमरे में घुमाई, कमरा पूरा फूलों से सजा था, रंग बिरंगी रोशनी से चमक रहा था और तरह तरह की खुशबू से महक रहा था।

सुहागसेज़ गुलाब के फूलों से सजी थी और बीच में शबाना घूंघट में सजी धजी प्रथम मिलन के इंतजार में बैठी थी, वसीम ने शबाना का घूंघट उठाया तो एक मिनट तक एकटक शबाना को देखता रहा।

इतनी खूबसूरत लग रही थी शबाना, वसीम को ऐसे देखकर शबाना का चेहरा शर्म से लाल हो गया और उसकी निगाहें खुद झुक गयी।

तब वसीम ने अपनी जेब से हीरे की अंगूठी निकालकर शबाना की उंगली में पहना दी, वसीम ने पूछा कैसी लगी ?, तो शबाना बोली बहुत सुन्दर है, पर इसकी क्या जरूरत थी ?

वसीम बोला तोहफा नहीं, प्यार है हमारा आपके लिए, यह कहते हुए गुलाब का फूल एक घुटना जमीन पर टिकाते हुए शबाना की तरफ बढ़ाया और बोला आई लव यू सो मच शबाना।

शबाना ने बड़ी नज़ाकत से फूल लिया और बोली थैंक यू डियर, आई लव यू टू, वसीम ने एक गजरा लिया और शबाना को घूमने के लिए बोला, शबाना घूम गयी।

वसीम ने गजरा उसके जूड़े में लगा दिया और गजरे की खुशबू एक लम्बी सांस खींचकर अपने नथुनों में भरने लगा, वसीम का यह व्यवहार शबाना को रोमांचित कर रहा था।

अब शबाना ने दूध का गिलास उठाया और वसीम के होठों से लगा दिया, उसने थोड़ा दूध पीकर शबाना को अपनी गोद मैं बिठा लिया और गिलास शबाना के होठों से लगा दिया।

ऐसे ही दोनों ने पूरा दूध पिया, वसीम ने शबाना से बोला एक पान उठाओ, शबाना ने ट्रे से एक पान उठाकर वसीम को दे दिया, वसीम ने आधा पान अपने दांतों में दबाकर मुंह शबाना के सामने कर दिया।

शबाना समझ गयी, वसीम का इशारा और वसीम की गोद में बैठे हुए शर्माते हुए दांतों से काटने लगी, जैसे ही पान काटा, दोनों के होंठ आपस में जुड़ गये और चुम्बन करने लगे।

उन दोनों ने जैसे ही चूमना शुरू किया, दोनों के शरीर में करंट सा दौड़ गया और एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे, उनके होंठ खुल गये और जीभ आपस में टकराने लगी।

पान और होठों का स्वाद मिश्रित होकर अलग ही आनन्द की अनुभूति दे रहे थे, शबाना की आंखें आनन्द से बंद हो गईं और दोनों की सांसे तेज चलने लगीं थी।

वसीम ने हाथ बढाकर एक चॉकलेट उठाई और पान की तरह ही अपने दातों में दबा ली, इस बार शबाना ने तुरंत अपना मुंह लगा दिया और चॉकलेट के साथ चुम्बन का आनन्द लेने लगी।

अब शबाना भी धीरे धीरे सहज हो रही थी और भरपूर साथ दे रही थी, करीब 10 मिनट तक इसी तरह एक दूसरे की जीभ को चूसते रहे, कभी गले को चूमते, कभी माथे को, कभी गालों को तो कभी एक दूसरे की जीभ को।

पूरा कमरा पुच्च पुच्च चुप्प चुप्प सलर्प की आवाजों से गूंज गया, अब वसीम ने उठकर धीमी आवाज में संगीत चला दिया और रसगुल्ले का कटोरा ले आया।

इस बार शबाना ने रसगुल्ला मुंह में दबाया और वसीम की गोद मैं बैठ गई और दोनों फिर उसी तरह चुम्बन करने लगे, दो रसगुल्ले इसी तरह खाने के बाद रावड़ी और आइसक्रीम भी एक दूसरे को मुंह से खिलाई।

दोनों को ही असीम आनन्द प्राप्त हो रहा था, वे सांस लेने के लिये रुक जाते फिर चुम्बन करने लगते, अब वसीम और शबाना के हाथ भी एक दूसरे के बदन को नापने लगे थे।

आप मेरे साथ बने रहिए और इस चूत की आग कहानी पर किसी भी प्रकार की राय देने के लिए आप मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.

seema.singh2003@proton.me

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